TRP – टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स की पूरी गाइड
जब टीवी पर कोई नया शो या सीरीज़ चलती है, तो अक्सर सुनते हैं "इस शो का TRP बहुत हाई है". लेकिन असल में TRP क्या होता है? इसे समझना उतना ही आसान जितना आपके पसंदीदा ड्रिंक की रेसिपी याद रखना.
TRP कैसे मापते हैं?
TRP यानी टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स, दर्शकों के देखने के समय को प्रतिशत में दिखाते हैं। भारत में सबसे बड़े सर्वे कंपनी "बॉक्सऑफ़िस इंडिया" और "टिकटोक" जैसे प्लेटफॉर्म अपने सैंपल हाउस से डेटा इकट्ठा करते हैं। हर घर में छोटा बॉक्स या सेट‑टॉप बॉक्स लगा होता है, जो चैनल बदलने पर सिग्नल भेजता है. इस डेटा को जोड़कर एक घंटे में कौन सा चैनल कितना देखा गया, इसका प्रतिशत निकालते हैं.
उदाहरण के तौर पर, अगर 1000 घरों से डेटा लिया और 150 घरों ने शाम 7‑8 बजे स्टार प्लस देखी, तो उस समय का STAR PLUS TRP 15 होगा (150/1000*100). यानी 1% दर्शक समूह को दर्शाता है.
टेलीविजन उद्योग में TRP का असर
TRP सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि चैनल और विज्ञापनदाता दोनों के लिए गाइडलाइन है. अगर किसी शो का TRP लगातार हाई रहता है, तो नेटवर्क उसे प्राइम टाइम स्लॉट में रखता है, क्योंकि अधिक दर्शक मतलब ज्यादा विज्ञापन राजस्व.
विज्ञापनदाता भी TRP को देख कर अपना बजट तय करते हैं. कोई ब्रांड यदि अपने उत्पाद को 30‑40 लाख लोगों तक पहुंचाना चाहता है, तो वह हाई TRP वाले शोज़ में एड्स डालना पसंद करेगा. इससे वही शो की रेटिंग और बढ़ती है – एक चक्र जैसा.
हाल ही में कई बड़े प्रोग्राम ने अचानक ट्रेंड बदल दिया: "ड्रामा डोमिनेंस" के बजाय रियलिटी शोज़ का TRP उछाल आया. इसका कारण दर्शकों की बोरियत और नई फॉर्मेट्स को अपनाने की इच्छा है. इस बदलाव से चैनलों ने अपने कंटेंट स्ट्रैटेजी में भी बदलाव किया.
TRP देख कर छोटे-छोटे प्रोड्यूसर भी समझते हैं कि उनका शो कहाँ खड़ा है. अगर कोई नई वेब‑सीरीज़ टेलीविजन पर लांच होती है, तो उसकी शुरुआती रेटिंग्स को ट्रैक करके आगे की मार्केटिंग तय करते हैं.
एक बात याद रखें – TRP सिर्फ टेलिवीजन के लिए ही नहीं, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म भी अब समान मीट्रिक अपना रहे हैं. यूट्यूब या हॉटस्टार पर "व्यूज" और "एंगेजमेंट" को लेकर नया शब्द आया है, लेकिन मूल सिद्धांत वही है: दर्शक कितना देख रहा है, यही मायने रखता है.
तो अगली बार जब आप किसी शो का TRP हाई सुनें, तो जान लेंगे कि वह कितने लोगों की स्क्रीन पर चल रहा है और क्यों विज्ञापनदाता उस पर अपना पैसा लगा रहे हैं. समझदारी से चुनिए वो प्रोग्राम जो आपके टाइम‑टेबल में फिट बैठता हो, क्योंकि अंत में आपका एंजॉयमेंट ही सबसे बड़ा मापदण्ड होना चाहिए.

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