कमीटी का गठन और कार्यपूर्ण दिशा
केंद्रीय सरकार ने खेल कोटा भर्ती में व्यापक बदलाव की धमकी देते हुए एक अंतर-राज्यीय समिति बनाई है। यह समिति मूल रूप से कर्मचारी एवं प्रशिक्षण विभाग के उप सचिव राकेश मोजा के जारी आधिकारिक आदेश से स्थापित हुई। समिति का प्रमुख कार्य खेल‑कोटा की वर्तमान नीतियों का पुनरावलोकन करना और योग को आधिकारिक खेल अनुशासन में शामिल करने की संभावना को जांचना है।
इस समिति में विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं: विभागीय प्रशिक्षण के संयुक्त सचिव मुख्य समन्वयक हैं, जबकि खेल मंत्रालय, आयुर्वेद योग नूट्रॉपैथी, यूनानी, सिद्धा व होम्योपैथी (AYUSH) और खेल प्राधिकरण (SAI) के संयुक्त सचिव भी साथ हैं। इसके अतिरिक्त रक्षा, रेलवे, राजस्व, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, तथा गृह मंत्रालय से भी खेल‑कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़े अधिकारी भाग लेंगे। इस प्रकार समिति को बहु‑मंत्रालयीय महत्व का माना गया है।
संभावित बदलाव और उनके प्रभाव
समिति के कार्यसूची में पाँच प्रमुख बिंदु सामने आए हैं:
- योग को खेल अनुशासन की सूची में जोड़ना।
- वर्तमान स्पोर्ट्स कोटा को अधिकतम 5% से न्यूनतम 5% तक बदलना, जिससे सभी सरकारी संगठनों में खेल‑कोटा की गारंटी बनी रहे।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को समूह‑ए और समूह‑बी पदों के लिए प्रमोशन की पात्रता देना।
- वर्तमान भर्ती मानदंडों की समीक्षा, जिसमें राज्य, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियों की आवश्यकता को सरल बनाया जाए।
- योग प्रशिक्षकों, चिकित्सकों और प्रमाणित संस्थानों को आधिकारिक रूप से मान्यता देना, ताकि वे सरकार के विभिन्न विभागों में रोजगार पा सकें।
यदि योग को आधिकारिक खेल अनुशासन माना जाता है, तो यह न केवल योग शिक्षकों के लिए सरकारी नौकरी के नए विकल्प खोलेगा, बल्कि भारत की पारंपरिक वैदिक प्रथा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से स्थापित करेगा। इससे भारत के अंतरराष्ट्रीय योग प्रोत्साहन अभियानों, जैसे संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के समर्थन को भी एक नया आयाम मिलेगा।
इसके अलावा, कोटा प्रतिशत को न्यूनतम 5% देने से छोटे‑मोटे सरकारी विभागों में भी खेल‑कोटा के तहत अधिक पद खुलेंगे। इससे खेल‑अभ्यासियों को स्थिर पेशा मिल सकेगा और खेल के प्रति रुचि बढ़ेगी। पदोन्नति नीति में बदलाव कड़ी प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करेगा, जिससे खिलाड़ी बड़ी घटनाओं में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होंगे।
समिति ने अभी तक कोई निश्चित निर्णय नहीं लिया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि आने वाले महीनों में नीति दस्तावेज़ तैयार हो सकते हैं। इस प्रक्रिया में सभी हितधारकों—खेल संघों, योग फेडरेशन, चयन आयोगों और संभावित उम्मीदवारों—से राय ली जाएगी। यदि प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं, तो यह भारत के खेल‑कर्मियों और योग प्रतिभागियों के लिए एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।