सूर्य देव: शक्ति और जीवन का स्रोत
जब बात सूर्य देव की होती है, तो हम एक ऐसा दिव्य इकाई देखते हैं जो प्रकाश, ऊर्जा और जीवन शक्ति का प्रतीक है. इसे कभी‑कभी सूर्य भी कहा जाता है, और उसकी पूजा सुबह के समय सूर्योदय के साथ की जाती है। सूर्य नमस्कार एक लोकप्रिय योग आसन क्रम है जो सूर्य की ऊर्जा को शरीर में खोलता है, जबकि मकर संक्रांति वह त्योहार है जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मनाता है। सूर्य देव ऊर्जा का स्रोत है, उसकी पूजा स्वास्थ्य लाभ देती है, और वह ऋतुओं की चाल को निर्धारित करता है।
सूर्य देव से जुड़ी प्रमुख परम्पराएँ
हर साल मकर संक्रांति पर लोग सूर्य देव की अर्घ्य‑आरती करते हैं, क्योंकि यह दिन सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश का संकेत देता है। इस समय उत्तराखंड के हरिद्वार में सूर्य स्नान विशेष मान्यता रखता है – स्नान करने से जीवन में नई ऊर्जा आती है। साथ ही, आयुर्वेद में कहा गया है कि सूर्य देव की अनुमति से ली गई धूप से विटामिन‑डी की आपूर्ति बढ़ती है, जो हड्डियों और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। यहाँ तक कि कई किसान सूर्य देव को कृषि के अनुकूल बनाते हुए ‘सूर्य पाना’ जैसे अनुष्ठान करते हैं, जिससे फसल की वृद्धि में सुधार आता है। सूर्य देव से जुड़ी ये परम्पराएँ दर्शाती हैं कि धार्मिक आस्था और दैनिक जीवन के बीच कैसे घनिष्ठ संबंध बनता है।
आधुनिक विज्ञान भी सूर्य के महत्व को पुष्टि करता है। फोटोसिंथेसिस के माध्यम से पौधे सूर्य की रोशनी को भोजन में बदलते हैं, और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों में सौर पैनलों का उपयोग बढ़ रहा है। इस प्रकार, सूर्य देव सिर्फ धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि स्थायी ऊर्जा के स्रोत के रूप में भी भूमिका निभाते हैं। जब हम सुबह की पहली किरण देखते हैं, तो वह सूर्य देव की याद दिलाती है कि हर नई शुरुआत में प्रकाश और आशा का सन्देश छुपा होता है।
इन सब बिंदुओं को समझते हुए आप अगली बार सूर्य देव से जुड़ी खबरें या लेख पढ़ते समय इस पृष्ठ पर मिलने वाले विस्तृत लेखों में गहरी जानकारी पाएँगे। यहाँ आपको सूर्य पूजा के तरीके, सूर्य नमस्कार के सही क्रम, मकर संक्रांति की अनुष्ठान विधि, और सूर्य के स्वास्थ्य‑लाभों के विज्ञान‑सिद्ध प्रमाण मिलेंगे – सब एक ही जगह। अब आइए, नीचे सूचीबद्ध लेखों में डुबकी लगाएँ और सूर्य देव के विभिन्न पहलुओं को और भी विस्तार से जानें।
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