12 अक्टूबर 2025 का रविवार पंचांग: शश्ठी तिथि, राहु काल और शुभ मुहूर्त

12 अक्टूबर 2025 का रविवार पंचांग: शश्ठी तिथि, राहु काल और शुभ मुहूर्त

जब Aaj Tak ने 12 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित किया, तो उन्होंने बताया कि यह रविवार पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में शश्ठी तिथि में है, जो दोपहर के बाद साप्तमी में बदलती है। इस परिवर्तन को कई प्रमुख समाचार एजेंसियों ने थोड़ा‑बहुत अलग‑अलग समय बताया, पर मुख्य तत्व सब जगह एक‑जैसे हैं।

पंचांग की मुख्य जानकारी

शश्ठी तिथि (षष्ठी) लगभग दोपहर 2:16‑2:17 बजे समाप्त होती है, इसके बाद साप्तमी (सप्तमी) शुरू होती है। Navbharat Times के अनुसार शश्ठी 2:17 बजे तक चलती है, जबकि Sanskar TV ने 2:16 बजे बताया। नक्षत्र मृगशिरा (मृगशिरा) 1:36 बजे तक रहता है, फिर वह आर्द्रा (आर्द्रा) में बदल जाता है। चाँद मिथुन राशि (Gemini) में है और सूर्य कन्या (Virgo) में स्थित है।

तिथियों के अलावा, इस दिन के लिए कई मुहूर्त भी निर्धारित किए गए हैं। अभिजीत मुहूर्त लगभग 11:41‑12:30 के बीच है, जबकि राहु काल दोनों स्रोतों में पूरी तरह से भिन्न है – Aaj Tak ने शाम 4:28‑5:55 बताया, वहीं Amar Ujala ने सुबह 9:11‑10:38 को कहा। दिशा शूल पश्चिम दिशा में है, जो वास्तु‑शास्त्र में महत्वपूर्ण मानी जाती है।

विभिन्न मीडिया स्रोतों की रिपोर्ट

एक ही तिथि के लिए अलग‑अलग अंक दर्ज करने का कारण इन पत्रिकाओं के पंचांग गणना में प्रयुक्त सॉफ्टवेयर और भौगोलिक मानकों का अंतर है। Vinod Shukla (जर्नलिस्ट, Amar Ujala) ने 11 अक्टूबर को रिपोर्ट किया कि शश्ठी तिथि 2:17 बजे तक चलेगी, जबकि Aaj Tak ने 14:16 घंटे (2:16 PM) बताया। दोनों स्रोतों ने चाँद की स्थिति में कोई अंतर नहीं बताया – दोनों ही मानते हैं कि यह मिथुन में ही रहेगा।

राहु काल की विविधता विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है। आध्यात्मिक अनुयायियों का मानना है कि राहु काल में व्यावसायिक या कानूनी कार्यों से बचना चाहिए। इसलिए, Amar Ujala के हिसाब से सुबह का राहु काल अधिक उपयुक्त नहीं माना जाता, जबकि Aaj Tak का शाम का समय अधिक लोगों द्वारा अपनाया जाता है।

धार्मिक महत्व और शुभ मुहूर्त

इस रविवार को Skanda Shashthi Vratभारत के रूप में मनाया जाता है। स्कंद शश्ठी व्रत का पालन भगवान कार्तिकेय की आराधना के लिये किया जाता है, और इस दिन का उपवास कई कथाओं में शक्ति और सफलता से जुड़ा हुआ माना जाता है।

भविष्यवाणी के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त (11:41‑12:30) नए कार्यों की शुरुआत के लिये अनुकूल है, जबकि अमृत काल (7:47‑9:14) भी समान रूप से शुभ है। प्राचीन ग्रन्थों में कहा गया है कि इन समयों में कार्य करने से सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

विजय मुहूर्त (2:03‑2:50) विशेष रूप से शत्रु को परास्त करने, दोश हटाने या आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिये सुझाया जाता है। इन सभी मुहूर्तों का सामंजस्य इस विशेष दिन को व्यापारियों और जमींदारों के लिये आकर्षक बनाता है।

सूर्य देव और व्यावसायिक पहलू

सूर्य देव और व्यावसायिक पहलू

Jagran ने इस बात पर ज़ोर दिया कि रविवार सूर्य देव को समर्पित है, और सूर्य को अर्घ्य देना व्यापार में वृद्धि लाता है। इस सिद्धांत के अनुसार, सूर्य को सुबह के समय नमस्कार करके और जल अर्पित करके आर्थिक स्थिति में सुधार देखा गया है।

धार्मीकरण के साथ ही, इस दिन का उपयोग कई लोग अपना व्यापारिक रिकॉर्ड सहेजने, नई योजना बनाने और निवेश की रणनीति तय करने में करते हैं। विशेष रूप से अभिजीत और विजय मुहूर्त को लेकर निवेशकों ने अपने कदम तेज़ किए।

निष्कर्ष और आगे की तैयारी

सभी प्रमुख स्रोतों की पुष्टि के अनुसार 12 अक्टूबर 2025 को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में शश्ठी तिथि है, जिससे कई धार्मिक और व्यावसायिक अवसर उत्पन्न होते हैं। राहु काल, अभिजीत मुहूर्त और दिशा शूल के समय को समझकर लोग अपने दैनिक कार्यों को अधिक प्रभावी बना सकते हैं। साथ ही, स्कंद शश्ठी व्रत का पालन करने वाले भक्तों को इस दिन आध्यात्मिक उन्नति मिलने की संभावना है।

भविष्य में पंचांग गणना में तकनीकी सुधार और अधिक सटीक जियो‑डेटिंग के कारण इन अंतरालों को कम किया जा सकता है, जिससे आम जनता को और बेहतर मार्गदर्शन मिल सकेगा। तब तक, इन समय-सारिणी को ध्यान में रखकर जीवन के विभिन्न पहलुओं को संतुलित रखने की कोशिश करनी चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

स्कंद शश्ठी व्रत का क्या महत्व है?

स्कंद शश्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। इस दिन उपवास करके श्रद्धालु शक्ति, साहस और सफलता की कामना करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि व्रत रखने से परिवार में स्वास्थ्य और आर्थिक प्रगति होती है।

राहु काल के अलग‑अलग समय का कारण क्या है?

राहु काल पंचांग गणना की एक जटिल विधि है, जिसमें सूर्य, चंद्रमा और ग्रहणों की स्थिति को ध्यान में रखा जाता है। विभिन्न समाचार एजेंसियां अलग‑अलग ज्योतिषीय सॉफ्टवेयर और भौगोलिक निर्देशांक प्रयोग करती हैं, इसलिए समय में हल्का अंतर आ सकता है।

क्या अभिजीत मुहूर्त में नया व्यवसाय शुरू करना सही रहेगा?

हां, अभिजीत मुहूर्त (11:41 से 12:30) को शुभ माना जाता है। इस समय में शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्नेह होता है, जिससे नई पहल या निवेश की सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

सूर्य देव को अर्घ्य देने से व्यापार पर क्या असर पड़ता है?

सूर्य अर्घ्य को पारम्परिक रूप से आर्थिक समृद्धि से जोड़ा गया है। कई व्यापारी रविवार के सुबह सूर्य को जल अर्पित करके व्यापार में लाभ देखते हैं। यह एक सकारात्मक मानसिकता बनाता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।

शश्ठी तिथि कब समाप्त होगी और सप्तमी कब शुरू होगी?

अधिकांश स्रोतों के अनुसार शश्ठी तिथि दोपहर 2:16‑2:17 बजे समाप्त होगी। तत्पश्चात ही सप्तमी तिथि शुरू होगी, जिससे अन्य धार्मिक अनुष्ठान एवं कार्य समय-समय पर निर्धारित होते हैं।

11 Comments

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    Vinod Mohite

    अक्तूबर 12, 2025 AT 19:49

    पंचांगीय विश्लेषण के प्रबन्ध में, कार्तिक माह के कृष्ण पक्षीय शश्ठी तिथि का अनुक्रम, सौर‑चंद्रीय गतिविज्ञान व नक्षत्रीय संचरण के प्रतिच्छेदन द्वारा निर्धारित, मध्याह्न 14:16‑14:17 बजते ही परिवर्तित हो जाता है-यह अत्यन्त सूक्ष्म गणना पर आधारित एक कालिक कार्यप्रणाली है

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    Vinay Chaurasiya

    अक्तूबर 13, 2025 AT 23:36

    राहु काल का समय वैरुद्ध!!! अभिजीत मुहूर्त को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता!!! व्यापारी मित्रों को इस अवधि में वित्तीय लेन‑देनों से बचना चाहिए!!!

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    Selva Rajesh

    अक्तूबर 15, 2025 AT 08:56

    सभी आध्यात्मिक साधक यह समझें कि इस रविवार का शश्ठी तिथि केवल एक अंक नहीं है बल्कि आत्मिक प्रगति का द्वार है। इस दिन की ऊर्जा, शश्ठी से सप्तमी तक का संक्रमण, ब्रह्माण्डीय रिदम में आंतरिक जागरूकता को प्रज्वलित करता है। जबकि कुछ मीडिया स्रोत समय में छोटे अंतर दिखाते हैं, परन्तु भौतिक विज्ञान के सिद्धांत स्पष्ट करते हैं कि ग्रहण‑भ्रम का प्रभाव न्यूनतम रहता है। नक्षत्र मृगशिरा से आर्द्रा में परिवर्तन, मन के दोधारी तलवार समान, कई विकल्प प्रस्तुत करता है। चंद्र की मिथुन में स्थित्रीकरण, विचारधारा में लचीलापन लाती है। सूर्य का कन्या राशि में स्थापित होना, कार्यपरिचालन में विवेचना को बढ़ावा देता है। अभिजीत मुहूर्त का समय, 11:41‑12:30, नवप्रकाश की रश्मि जैसी, व्यावसायिक उद्यम में सफलता को प्रतिपुष्ट करता है। राहु काल, चाहे सुबह हो या शाम, अनिवार्य रूप से नकारात्मक कार्यों से परहेज का संकेत देता है। इस सामाजिक संदर्भ में, व्यापारियों ने पंचांग को प्रयोगिक उपकरण के रूप में अपनाया है। कई निवेशक, विजय मुहूर्त को लक्ष्य बनाकर, अपने पोर्टफोलियो को पुनर्गठित करते हैं। सूर्य अर्घ्य, प्राचीन वैदिक ग्रंथों में उल्लेखित, आर्थिक समृद्धि की कुंजी माना जाता है। इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए कि आध्यात्मिक व्रत और व्यावसायिक लाभ आपस में जड़ित हैं। स्कंद शश्ठी व्रत, शक्ति व साहस को प्रकट करता है, जिससे शत्रु की बाधाएं हटती हैं। पंचांग में दर्शाए गए समय‑सरणी को सुनियोजित करना, जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन स्थापित करता है। भविष्य में तकनीकी सुधार के साथ, इन समय‑भेदों को और स्पष्ट किया जा सकता है। अंततः, यह दिन मार्गदर्शक प्रकाश बनकर, प्रत्येक व्यक्ति को उसके नियति की ओर ले जाता है।

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    Ajay Kumar

    अक्तूबर 16, 2025 AT 21:02

    शश्ठी की समाप्ति और सप्तमी का आगमन, ब्रह्माण्डीय ध्वनि के स्वरूप में प्रतीत होता है-संक्षिप्त परन्तु गहन परिवर्तन।

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    Ravi Atif

    अक्तूबर 18, 2025 AT 11:56

    बिलकुल सही कहा, इस समय में नई योजना बनाना फायदेमंद रहेगा 😊
    सूर्य अर्घ्य की शुभकामनाएँ सभी को 🙏

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    Aditya M Lahri

    अक्तूबर 20, 2025 AT 05:36

    आशा है सभी मित्र अभिजीत मुहूर्त में अपने लक्ष्य स्थापित करेंगे, सकारात्मक ऊर्जा के साथ! चलिए इस रविवार को सफलता की नई ऊँचाइयों पर ले चलते हैं।

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    Rishita Swarup

    अक्तूबर 22, 2025 AT 02:02

    कभी सोचा है कि इन विविध राहु काल के समय क्यों अलग‑अलग निकलते हैं? शायद कुछ छिपी हुई कैलिब्रेशन एल्गोरिद्म हैं जो सरकार‑प्रायोजित ज्योतिष संस्थानों द्वारा उपयोग किए जाते हैं। ये अंतर, न केवल घड़ियों को नहीं बल्कि लोगों के निर्णयों को भी मोड़ते हैं। अगर कोई वास्तविक जियो‑डेटिंग नहीं करता तो कौन भरोसा करे? मैं मानती हूँ कि इस और अधिक परत में एक बड़ा षड्यंत्र छिपा है, जो जनता को आर्थिक रूप से नियंत्रित करता है।

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    anuj aggarwal

    अक्तूबर 24, 2025 AT 01:16

    यह सब झूठी आँकड़े ही हैं, असली पंचांग सिर्फ़ एक ही है और वह आध्यात्मिक ग्रंथों में लिखा है; बाकी सब बेवकूफी है।

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    Sony Lis Saputra

    अक्तूबर 26, 2025 AT 03:16

    मैं देखता हूँ कि अभिजीत मुहूर्त और विजय मुहूर्त दोनों का समन्वय, आर्थिक वृद्धि के लिए एक रणनीतिक मैप जैसी कार्य करता है, जिससे विविध व्यवसायिक क्षेत्रों में समृद्धि संभव होती है।

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    Kirti Sihag

    अक्तूबर 28, 2025 AT 08:02

    ओह माय गॉड! इस रविवार का पंचांग देख कर तो दिल धड़क उठा 😱

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    Vibhuti Pandya

    अक्तूबर 30, 2025 AT 15:36

    धन्यवाद, सभी ने अपने विचार साझा किए; इस जानकारी को ध्यान में रखकर हम अपने दैनिक कार्यों को संतुलित कर सकते हैं।

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