शश्ठी तिथि

शश्ठी तिथि, हिंदू कैलेंडर में शुक्ल या कृष्ण पक्ष की छठी तिथि, जिसे धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष महत्व दिया जाता है. Also known as षष्ठी तिथि, it marks a period when कई देवता के अनुष्ठान और व्रत करने का समय माना जाता है। इस लेख में हम शश्ठी तिथि के महत्व को समझेंगे, साथ ही देखेंगे कि यह पंचांग, भारतीय कैलेंडर प्रणाली जो तिथियों, नक्षत्रों और योगों को दर्शाती है में कैसे दर्ज होती है। शश्ठी तिथि का सही मुहूर्त, कुशल कार्य करने के लिए योग्य समय‑सीमा निकालना जरूरी है, क्योंकि यह वही समय होता है जब पूजा‑पाठ या व्रत का फल सबसे अधिक मिलती है। साथ ही हम देखेंगे कि शश्ठी तिथि से जुड़ा व्रत, धर्मिक कारणों से भोजन न करने या सीमित करने का अभ्यास किस प्रकार संरचित होता है।

शश्ठी तिथि केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक संघटक है जो पंचांग के भाग‑बिंदुओं—तिथि, नक्षत्र और योग—के साथ जुड़ी होती है। जब शश्ठी तिथि आती है, तो अक्सर अहोई अष्टमी जैसे अन्य प्रमुख तिथियों के निकट होती है, जिससे उनका एक‑दूसरे पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, 2025 में अहोई अष्टमी 13 अक्टूबर को पड़ती है, और उस दिन का मुहूर्त शश्ठी तिथि की पूजा‑समय से मेल खाता है, जिससे कई घरों में एक साथ दो प्रमुख अनुष्ठान होते हैं। यह परस्पर प्रभाव दर्शाता है कि शश्ठी तिथि को समझने के लिए हमें आसपास की तिथियों को भी देखना चाहिए।

शश्ठी तिथि का उपयोग विशेष रूप से शश्ठी व्रत में होता है, जहाँ महिलाएँ शिशु की सुरक्षा और मातृत्व के आशीर्वाद के लिए उपवास रखती हैं। इस व्रत के दौरान प्रसाद में शुद्ध दूध, शहद और विशेष फल शामिल होते हैं, क्योंकि पंचांग के अनुसार इनका योग शश्ठी तिथि के लिए अनुकूल माना जाता है। व्रत का पालन करने वाले लोग अक्सर सुबह को ही शुभ मुहूर्त का चयन करते हैं—ज्योतिषीय सिद्धांत के अनुसार यह समय सूर्य के उत्तरी भाग में स्थित होते हुए सबसे अधिक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

शश्ठी तिथि के शास्त्रीय महत्व को समझने के लिए चैत्र नवरात्रि के साथ तुलना करना मददगार होता है। दोनों ही तिथियों में देवी शक्ति का जश्न मनाया जाता है, पर नवरात्रि सात‑आठ दिन तक चलता है, जबकि शश्ठी तिथि एक ही दिन पर केंद्रित होती है। इस अंतर से हमें स्पष्ट होता है कि शश्ठी तिथि अक्सर किसी विशेष देवी‑देवता—जैसे माँ अन्नपुष्पी या काली—के पूजा‑पाठ का मुख्य बिंदु बनती है। इस प्रकार शश्ठी तिथि के साथ जुड़े अनुष्ठान और व्रत भी विशिष्ट देवता के स्वरूप पर निर्भर करते हैं।

व्यावहारिक रूप से, शश्ठी तिथि की गणना करने के लिए एक आसान तरीका है: पंचांग में शश्ठी शब्द वाले तिथि को देखें, फिर उस दिन का नक्षत्र और योग जाँचें। यदि नक्षत्र अश्विनी या भरणी के साथ मेल खाता है, तो यह तिथि विशेष रूप से अनुकूल मानी जाती है। इसके अतिरिक्त, आधुनिक ऐप और ऑनलाइन पंचांग प्लेटफ़ॉर्म इस जानकारी को बिंदुवार देते हैं, जिससे समय बचता है और गलत गणना की संभावना कम होती है।

अंत में यह कहना सुरक्षित है कि शश्ठी तिथि एक ऐसा अवसर है जब धार्मिक, सामाजिक और व्यक्तिगत पहलू एक साथ मिलते हैं। चाहे आप पारिवारिक पूजा करना चाहते हों, विशेष व्रत रखना चाहते हों, या बस शुभ मुहूर्त चुनना चाहते हों—शश्ठी तिथि आपके लिए एक व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करती है। नीचे की सूची में आप विभिन्न लेखों और अपडेटेड तिथियों को पाएँगे, जो इस तिथि को और बेहतर समझने में मदद करेंगे।

12 अक्टूबर 2025 का रविवार पंचांग: शश्ठी तिथि, राहु काल और शुभ मुहूर्त

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12 अक्टूबर 2025 रविवार का पंचांग शश्ठी तिथि, राहु काल और स्कंद शश्ठी व्रत के शुभ मुहूर्त दिखाता है, जिससे व्यापार और धार्मिक कार्यक्रमों का नियोजन आसान होता है।

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