लिंग असंतुलन क्या है? कारण, असर और समाधान

लिंग असंतुलन वो स्थिति है जहाँ पुरुषों‑और‑महिलाओं की संख्या या उनकी सामाजिक भूमिका में बहुत बड़ा अंतर होता है। यह सिर्फ जनसंख्या का मुद्दा नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी में भेदभाव और अवसरों के अंतर को भी दर्शाता है।

लिंग असंतुलन के मुख्य कारण

पहला कारण पारिवारिक पसंदीदा होता है—कई घरों में बेटे को लड़की से ज़्यादा महत्व दिया जाता है, जिससे बचपन में ही लड़कों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य मिलती है। दूसरा कारण आर्थिक दबाव है; जब परिवार की आय सीमित होती है तो अक्सर पुरुष बच्चों की पढ़ाई पर खर्च अधिक किया जाता है। तीसरा सामाजिक रूढ़ि है—कहते हैं कि कुछ काम सिर्फ़ पुरुषों या महिलाओं के लिए होते हैं, इसलिए नौकरियों में भी असंतुलन बनता है। अंत में सरकारी नीतियों का प्रभाव कम नहीं होना चाहिए; यदि नीति‑निर्धारण में जेंडर पर ध्यान नहीं दिया जाए तो अंतर बढ़ता ही रहता है।

समाधान और कदम

पहले, शिक्षा की पहुँच समान बनानी होगी। स्कूलों में लड़कियों को स्कॉलरशिप देना या मुफ्त किताबें प्रदान करना उनका भरोसा बढ़ाता है। दूसरा, रोजगार में जेंडर‑बेस्ड क्वोटा लागू कर सकते हैं जिससे महिलाओं को नेतृत्व पदों पर लाया जा सके। तीसरा, मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है—टीवी, फिल्म और सोशल मीडिया में महिलाएँ भी विविध भूमिकाओं में दिखनी चाहिए। चौथा, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार जरूरी है; गर्भावस्था देखभाल और बाल रोग विशेषज्ञों तक पहुंच सभी क्षेत्रों में समान होनी चाहिए। पाँचवा, परिवार के अंदर संवाद बढ़ाना चाहिए ताकि लड़कों‑और‑लड़कियों दोनों को बराबरी का सम्मान मिले।

इन उपायों को लागू करने में सरकार, NGOs और आम नागरिक सबका सहयोग जरूरी है। अगर हम छोटे‑छोटे कदम उठाएँ—जैसे स्कूल में लिंग समानता के खेल आयोजित करना या महिला उद्यमियों की कहानियाँ शेयर करना—तो बड़े बदलाव संभव हैं। याद रखें, लिंग असंतुलन सिर्फ़ आँकड़े नहीं, यह हर व्यक्ति की जिंदगी को प्रभावित करता है; इसलिए इसे ठीक करने का काम हम सभी पर है।

आखिर में, जब महिलाएँ और पुरुष दोनों अपने सपनों को बिना रोक‑टोक के पीछा कर सकें, तभी समाज आगे बढ़ेगा। इस बात को समझकर ही हमें लिंग असंतुलन को कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।

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मोलडोवा में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है, यहां 54% महिलाएँ हैं, जबकि लातविया, आर्मेनिया और रूस भी पीछे नहीं हैं। पुरुषों के पलायन और जीवन प्रत्याशा के अंतर जैसी वजहें इस असमानता को बढ़ाती हैं। पश्चिमी यूरोप और पूर्व सोवियत संघ के देशों में यह असामनता अधिक नजर आती है। वहीं, कतर में सबसे कम महिला जनसंख्या है जिसका कारण पुरुषों का बाहरी श्रम बल है।

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