महिलाओं की संख्या में अग्रणी देश: मोलडोवा सबसे आगे, सुरक्षा और लिंग संबंधी स्थिति पर नजर

महिलाओं की संख्या में अग्रणी देश: मोलडोवा सबसे आगे, सुरक्षा और लिंग संबंधी स्थिति पर नजर

महिलाओं की संख्या में मोलडोवा का नेतृत्व

दुनियाभर में महिलाओं की जनसंख्या के अनुपात की बात करें तो मोलडोवा में यह संख्या सबसे अधिक है। यहां की 54% जनसंख्या महिलाएँ हैं, जो इस देश को महिलाओं के मामले में विशिष्ट स्थान पर लाती है। लातविया, आर्मेनिया और रूस भी इसके करीब आते हैं, जहां महिलाओं की संख्या क्रमशः 53.68%, 53.61% और 53.57% है। लेकिन यह अंतर कैसे और क्यों बना, यह भी ध्यान देने लायक है।

मुख्यतः, यह अंतर जीवन प्रत्याशा में अंतर और पुरुषों के अधिकतर बाहर जाने के कारण उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिए, जॉर्जिया में महिलाओं की संख्या 53.4% है क्योंकि वहाँ से 56% पुरुष काम की तलाश में विदेश चले जाते हैं। इसके अलावा, महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 79.4 वर्ष है, जबकि पुरुषों की 70.6 वर्ष। इससे यह साफ होता है कि महिलाएँ लंबे समय तक जीवित रहती हैं, जो महिलाओं की अधिक संख्या की व्याख्या करता है।

पूर्वी यूरोप और पूर्व सोवियत संघ के देशों में स्थिति

पूर्वी यूरोप और पूर्व सोवियत संघ के अन्य देश भी इन सूचियों में शामिल हैं। उक्रेन (53.50%), बेलारूस (53.40%), और लिथुआनिया (52.85%) जैसे देशों में भी महिलाएँ अधिक संख्या में हैं। हांगकांग और मकाऊ की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है, जहाँ महिलाओं का अनुपात 54.92% और 53.87% है।

इन देशों में महिलाओं की संख्या अधिक होने के कारण अक्सर यह कहा जाता है कि समाज में महिलाओं को अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित माहौल मिलता है। यह इस बात को भी दर्शाता है कि पुरुषों का अधिक मृत्यु दर भी इन देशों में एक महत्वपूर्ण बिंदु हो सकता है।

इसके विपरीत, कतर जैसे देशों में महिलाएँ जनसंख्या का केवल 28.48% हिस्सा बनाती हैं। इसका प्रमुख कारण यहाँ का पुरुषों का भारी दस्ता है, जो मुख्यतः काम के लिए विदेश से आते हैं। इस तरह जनसंख्या के अनुपात में महिलाओं की स्थिति कतर में बिलकुल विपरीत है।

8 Comments

  • Image placeholder

    avinash jedia

    मार्च 20, 2025 AT 17:20
    ये सब आँकड़े तो ठीक हैं पर असली सवाल ये है कि महिलाएँ ज्यादा जीवित क्यों रहती हैं? क्या पुरुष बस ज्यादा तंग आ जाते हैं?
  • Image placeholder

    Liny Chandran Koonakkanpully

    मार्च 21, 2025 AT 12:34
    ये सब बकवास है। मैंने अपने दादाजी को 82 साल तक जीते देखा है। अब तक कोई महिला नहीं जी रही जिसने इतना अपना दिमाग चलाया हो। और फिर भी लोग ये कहते हैं कि महिलाएँ ज्यादा लंबी जिंदगी जीती हैं। 😒
  • Image placeholder

    Payal Singh

    मार्च 22, 2025 AT 21:20
    हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि जब पुरुष बाहर जाते हैं, तो वो अक्सर अपनी जिंदगी के लिए खतरे में डाल देते हैं... और महिलाएँ घर पर रहकर भी देश को संभालती हैं। ये बस आँकड़े नहीं, ये जीवन की सच्चाई है।❤️
  • Image placeholder

    Khaleel Ahmad

    मार्च 23, 2025 AT 14:25
    काम के लिए जाना खतरनाक है ये बात सही है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि महिलाएँ सुरक्षित हैं। बस वो दिखाई नहीं देतीं। बात ये है कि हम दोनों की जिंदगी को समझना चाहिए
  • Image placeholder

    Pooja Mishra

    मार्च 24, 2025 AT 07:56
    अगर महिलाएँ ज्यादा हैं तो क्या ये उनके लिए अच्छा है? क्या ये नहीं कि वो अकेलेपन में बूढ़ी हो जाती हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि ये आँकड़े जिंदगी की गुणवत्ता के बारे में कुछ नहीं बताते? क्या ये नहीं कि हम सब बस जनसंख्या के आँकड़ों में खो गए हैं?!!
  • Image placeholder

    Anupam Sharma

    मार्च 26, 2025 AT 04:53
    कतर में 28% महिलाएँ हैं? ये तो बिलकुल अलग ही सिस्टम है। वहाँ पुरुष आए हैं काम करने, लेकिन वो अपने देश के लिए नहीं, बल्कि एक अस्थायी अस्तित्व के लिए। ये नहीं कि महिलाएँ कम हैं, बल्कि ये है कि पुरुष बस बाहर से आ गए हैं। और हाँ, इसका मतलब ये नहीं कि वहाँ महिलाओं को अधिकार हैं। असली सवाल ये है कि जब आप लोग बस आँकड़े देखते हैं, तो आप इंसानियत को भूल जाते हैं।
  • Image placeholder

    Chandrasekhar Babu

    मार्च 27, 2025 AT 23:07
    जीवन प्रत्याशा का अंतर 8.8 वर्ष है, ये आँकड़ा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका कारण सामाजिक संरचना, धार्मिक अभ्यास, और व्यवहारिक स्वास्थ्य व्यवहारों में विभिन्नता है। पुरुषों में अधिक स्मोकिंग, एल्कोहल का सेवन, और सामाजिक दबाव के कारण कार्डियोवैस्कुलर रोगों का प्रसार अधिक है। इसके अलावा, महिलाएँ अधिक बार चिकित्सा सेवाओं का उपयोग करती हैं, जिससे रोगों का पता जल्दी चल जाता है। इसलिए यह आँकड़ा केवल लिंग का नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवहार का भी संकेत है।
  • Image placeholder

    Shruti Singh

    मार्च 29, 2025 AT 12:19
    अगर महिलाएँ ज्यादा जीवित हैं तो ये उनकी ताकत है, न कि कमजोरी। हमें इसे नाममात्र का आँकड़ा नहीं, बल्कि एक जीत के रूप में देखना चाहिए। जिंदगी लड़ने का जुनून हमारे अंदर है। और हाँ, ये बात सुनकर कोई नाराज न हो जाए - हम लड़ रहे हैं, और हम जी रहे हैं। 💪

एक टिप्पणी लिखें