गुरु पूजा की पूरी जानकारी – त्यौहार, रिवाज़ और आज की ख़बरें
हर साल जुलाई‑अगस्त में गुरु पन्ना के दिन हम गुरु पूजा मनाते हैं। इस अवसर पर लोग अपने गुरुओं को सम्मान देते हैं, धूप जलाते हैं और दान करते हैं। अगर आप पहली बार तैयार हो रहे हैं या पहले से जानते हैं लेकिन कुछ नया सीखना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। यहाँ हम बात करेंगे कब‑कब पूजा होती है, घर में कैसे करें, और इस साल की सबसे बड़ी गुरु पूजा ख़बरें क्या हैं।
गुरु पूजा कब मनाते हैं?
गुरु पूजा मुख्य रूप से गुरुपूर्णिमा के दिन होती है, जो शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आती है। यह आम तौर पर जुलाई‑अगस्त में पड़ती है और कई क्षेत्रों में इसे गुरु नवमी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव का भी विशेष उल्लेख होता है क्योंकि वह सभी गुरुओं का परम गुरु माना जाता है। अगर आप कैलेंडर देख रहे हैं, तो 2025 की गुरु पूर्णिमा 21 अगस्त को होगी। इसलिए इस तिथि से पहले तैयारी शुरू कर देना फायदेमंद रहता है।
घर में सरल गुरु पूजा कैसे करें
सबसे आसान तरीका यह है कि आप एक साफ़ सतह पर सफेद कपड़ा बिछाएँ और उस पर नारियल, फूल, अक्षर‑आधारित कागज (गुरु की तस्वीर या चित्र) रखें। फिर धूप जलाएँ, दो घूंट पानी डालें और हल्का प्रसाद – मीठा, फल या चावल के लड्डू रख दें। अंत में अपने जीवन में मिले मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद कहें और छोटे‑छोटे दान (खाने का अंश या पैसे) रखें। यह प्रक्रिया सिर्फ 10‑15 मिनट में पूरी हो जाती है और इसे किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं।
अगर आप बड़े स्तर पर कार्यक्रम करना चाहते हैं, तो स्थानीय मंदिर या सामुदायिक केन्द्र से संपर्क करें। कई बार वहाँ विशेष संगीत, मंत्रोच्चार और क़ुरआन की आयतें पढ़ी जाती हैं। इन आयोजनों में भाग लेकर आप अपने सामाजिक नेटवर्क को भी बढ़ा सकते हैं और गुरु सम्मान का असली मतलब समझ सकते हैं।
इस साल भारत भर में कुछ खास गुरु पूजा कार्यक्रम हुए हैं। नई दिल्ली के गांधी मैदान में 5,000 से ज्यादा लोग एकत्रित हुए, जहाँ प्रमुख शख्सियतों ने धर्मिक व्याख्यान दिया। मुंबई में समुद्र तट पर आयोजित जल-रंगीन पूजा में बच्चों ने रंग-बिरंगे फूल और धूप जलाकर अपने गुरुओं को श्रद्धांजलि दी। अगर आप इन कार्यक्रमों की तस्वीरें या वीडियो देखना चाहते हैं, तो हमारी साइट के ‘गुरु पूजा’ टैग वाले सेक्शन में क्लिक करें – वहाँ हर इवेंट का विस्तृत कवरेज मिलेगा।
अंत में यह याद रखें कि गुरु पूजा सिर्फ बाहरी रिवाज़ नहीं है, बल्कि अंदर से अपने मार्गदर्शकों के प्रति कृतज्ञता जताने का एक तरीका है। छोटे‑छोटे कदम, जैसे रोज़ 5 मिनट ध्यान या पढ़ाई के बाद गुरु को धन्यवाद कहना, भी इस त्यौहार की भावना को जीवित रखता है। तो अगली बार जब गुरुपूर्णिमा आए, तो इस सरल गाइड को फॉलो करें और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखें।

गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को: महत्व, गुरु पूजा विधि, और इसकी विशेषता
गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी। यह त्योहार अशाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को आता है और हिंदू, बौद्ध, और जैन धर्म के लिए महत्वपूर्ण है। यह गुरु-शिष्य के पवित्र संबंध का मान्यता दिवस है। इस दिन गुरु पूजा करने का विशेष महत्व है और इसे व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है।
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