ग्रे मार्केट प्रीमियम – क्या है और क्यों बढ़ता है?
आप अक्सर सुनते हैं ‘ग्रे मार्केट’ या ‘प्रीमियम कीमत’, पर असल में इसका मतलब क्या होता है? सरल शब्दों में, जब कोई चीज़ आधिकारिक डीलर या निर्माता के बाहर बेचती है तो उसकी कीमत आमतौर पर बढ़ जाती है। यही अतिरिक्त रक़म ग्रीन मार्केट प्रीमियम कहलाती है। यह सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स तक सीमित नहीं – मोबाइल, लैपटॉप, खेल कंसोल और कभी‑कभी कपड़े‑जुते भी इसमें शामिल होते हैं।
ग्रे मार्केट क्यों बनता है?
पहला कारण है सप्लाई की कमी. जब नया फोन या गेमिंग कंसोल जल्दी ही स्टॉक‑आउट हो जाता है, तो बिचौलियों के पास सीमित सामान होता है और वे कीमतें बढ़ा देते हैं। दूसरा कारण डिमांड का तीव्र होना. अगर कोई प्रोडक्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए या किसी इन्फ्लुएंसर ने प्रमोट कर दे, तो लोग तुरंत खरीदना चाहते हैं और बिचौलिए इस अवसर को भुनाते हैं। तीसरा है टैक्स व शुल्क का अंतर. कभी‑कभी कुछ देशों में आयात शुल्क कम होने के कारण वही प्रोडक्ट दूसरे देश की तुलना में सस्ता मिलता है, फिर भी ग्रे मार्केट में उसे महँगा बेच दिया जाता है क्योंकि बिचौलिए इस कीमत को खुद तय करते हैं। अंत में बाजार नियमन की कमी का असर रहता है – अगर किसी क्षेत्र में प्रोडक्ट के लिए कड़ी रेगुलेशन नहीं है तो वैध डीलर शिपिंग या वारंटी नहीं दे पाते, फिर भी बिचौले बिना कोई दिक्कत के बेचते हैं।
उपभोक्ता कैसे बच सकते हैं?
पहला कदम – हमेशा आधिकारिक वेबसाइट या मान्यता प्राप्त डीलर से खरीदें. अगर कीमत बहुत कम दिखे तो सावधान रहें; अक्सर वह ग्रे मार्केट का संकेत होता है। दूसरा, रिव्यू और रिटर्न पॉलिसी चेक करें. आधिकारिक चैनल पर लौटाने की सुविधा मिलती है, जबकि ग्रे मार्केट में नहीं। तीसरा, सोशल मीडिया पर डील या ऑफर को दो‑बार जाँचें; कई बार फर्जी विज्ञापन होते हैं जो सिर्फ प्रीमियम बढ़ा कर दिखाते हैं। चौथा, अगर आप किसी इवेंट या कंसर्ट टिकट की बात करें तो सर्टिफ़ाइड प्लेटफ़ॉर्म से ही बुकिंग करें, क्योंकि ग्रे मार्केट में स्कैल्पर अक्सर कीमतें दुगनी-तीन गुना तक ले लेते हैं। अंत में, जब भी संभव हो – प्रोडक्ट का सीरियल नंबर या वारंटी स्टिकर चेक करें; अगर यह मूल नहीं है तो आपको भविष्य में समस्या आ सकती है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम को समझना आसान है, पर इसे टालने के लिए सतर्क रहना जरूरी है। सही जानकारी और आधिकारिक स्रोतों की जाँच से आप बिना अतिरिक्त खर्च के वही चीज़ पा सकते हैं जो आपको चाहिए। याद रखें, थोड़ी सी मेहनत से आप महँगी कीमत में फंसने से बच सकते हैं और अपनी जेब भी सुरक्षित रख सकते हैं।
यदि आप अभी भी ग्रे मार्केट की दुविधा में हैं, तो हमारे अन्य लेख देखें जहाँ हम विभिन्न प्रोडक्ट्स के आधिकारिक और ग्रे दोनों मूल्य का विस्तृत तुलना देते हैं। इससे आपको सही चयन करने में मदद मिलेगी और भविष्य में अनावश्यक खर्च से बचेंगे।

स्विगी आईपीओ सूचीकरण के संकेत: कमजोर जीएमपी से बुधवार को कमजोर लिस्टिंग की संभावना
स्विगी का आईपीओ आवंटन पूरा हो गया है और निवेशक बीएसई, एनएसई तथा लिंक इंटाइम इंडिया की वेबसाइटों पर इसकी स्थिति देख सकते हैं। कम ग्रे मार्केट प्रीमियम के चलते आईपीओ के सूचीकरण में कमजोरी की संभावना है। स्विगी के अनलिस्टेड शेयर 391 रुपये पर चल रहे हैं, जो कि उद्घाटन कीमत से मात्र 1 रुपये अधिक है।
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