एंटी-ड्रोन क्या है और क्यों जरूरी?

आपने सुना होगा कि ड्रोन हर जगह उड़ते दिख रहे हैं—शॉपिंग डिलीवरी, फिल्म‑शूट या सिर्फ़ शौकिया मजे के लिये। पर कभी सोचा है अगर ये हाथों में गलत लोग आ जाएँ तो क्या हो सकता है? इसी डर से एंटी-ड्रोन तकनीक बनायी गयी है। यह सिस्टम ड्रोन को पहचानता, ट्रैक करता और ज़रूरत पड़ने पर सुरक्षित तरीके से नीचे उतार देता है। भारत में भी कई बार ऐसे मामलों की खबरें आती रही हैं, इसलिए सरकार ने इस क्षेत्र को प्राथमिकता दी है।

एंटी-ड्रोन सिस्टम कैसे काम करते हैं?

सबसे पहले एंटी‑ड्रोन रडार या सॉन्ग सेंसर ड्रोन की पहचान करता है। जब कोई अजनबी ड्रोन आपके एयरस्पेस में प्रवेश करता, तो ये उपकरण उसकी ऊँचाई, दिशा और गति का डेटा इकट्ठा करता। फिर जामर (जैमर) सिग्नल भेज कर उस ड्रोन के कंट्रोल लिंक को बाधित करता या GPS‑स्पूफ़िंग से उसे गलत रास्ते पर ले जाता है। कुछ हाई‑एंड मॉडल में ड्रोन को हवाई में ही पकड़कर धरती तक लाया जा सकता है, जैसे एक छोटा जाल। ये सब प्रक्रियाएँ सेकेंड में पूरी हो जाती हैं और आपके आसपास के लोगों को सुरक्षित रखती हैं।

भारत में एंटी-ड्रोन के नियम और लागू उदाहरण

ड्रोन सुरक्षा पर भारत की नीति 2020‑2023 में कई बार अपडेट हुई है। अब सभी व्यावसायिक ड्रोन ऑपरेटरों को लाइसेंस चाहिए, और हवाई अड्डे के 5 किलोमीटर रैडियस में एंटी-ड्रोन सिस्टम अनिवार्य हो गया है। दिल्ली के एयरपोर्ट पर पिछले साल एक प्रयोगात्मक जामर लगाया गया था; कुछ ही मिनटों में अनधिकृत ड्रोन को नीचे उतारा गया, जिससे सुरक्षा कर्मियों का भरोसा बढ़ा। इसी तरह मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु में भी बड़े इवेंट्स के दौरान एंटी‑ड्रोन टीम तैयार रहती है। अगर आप किसी सार्वजनिक समारोह या फिल्म सेट पर काम कर रहे हैं, तो यह जानना फायदेमंद रहेगा कि आसपास कौन‑से एंटी‑ड्रोन उपकरण लगे हैं।

एक सामान्य उपयोगकर्ता को भी कुछ बेसिक कदम उठाने चाहिए। यदि आपको लगता है कोई अजनबी ड्रोन आपके घर या कार्यालय के पास उड़ रहा है, तो सबसे पहले पुलिस या सिविल एविएशन अथॉरिटी को रिपोर्ट करें। आप मोबाइल ऐप्स से भी डिटेक्टेड ड्रोन की लोकेशन शेयर कर सकते हैं; कई राज्यों में ऐसी सुविधा उपलब्ध है। इस तरह का सहयोग अधिकारियों को तेज़ी से कार्रवाई करने में मदद करता है और संभावित खतरे को कम करता है।

आगे चलकर एंटी‑ड्रोन तकनीक और सस्ता, अधिक भरोसेमंद बनती जाएगी। कंपनियों ने AI‑बेस्ड पहचान सिस्टम विकसित किये हैं जो ड्रोन के मॉडल, आकार और उड़ान पैटर्न से ही फ़र्क़ कर सकते हैं। इसका मतलब है कि भविष्य में हम सिर्फ़ अनधिकृत ड्रोन को नहीं, बल्कि दुष्ट इरादों वाले ड्रोन को भी आसानी से रोक पाएँगे। इस बदलाव से न केवल हवाई सुरक्षा सुधरेगी, बल्कि आम लोगों की निजता और रोजमर्रा की ज़िन्दगी पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।

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2025 के स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली पुलिस ने जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम किए हैं। 10,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी, एंटी-ड्रोन सिस्टम, और सैंकड़ों CCTV कैमरे रेड फोर्ट और आसपास के इलाकों में निगरानी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर साइबर टीम्स भी पैनी नजर बनाए हुए हैं।

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