अंतरिम जमानत क्या है? सरल शब्दों में समझें
जब कोई व्यक्ति कोर्ट के सामने पेश नहीं हो पाता या जेल में रहता है, तो उसे तुरंत रिहा करने का तरीका ‘अंतरिम जमानत’ कहलाता है। यह अस्थायी राहत है, जिसका मकसद आरोपी को तब तक जेल से बाहर रखना है जब तक उसकी पूरी जाँच या ट्रायल पूरा न हो जाए। इस प्रक्रिया को समझना जरूरी है ताकि जरूरत पड़ने पर सही कदम उठाया जा सके।
कब और क्यों दी जाती है?
अंतरिम जमानत आम तौर पर तब दी जाती है जब दो बातें स्पष्ट हों – पहली, अभियुक्त की गिरफ्तारी में कोई गड़बड़ी हो (जैसे बिना वॉरेंट के पकड़ा गया) या दूसरी, उसकी जाँच अभी पूरी नहीं हुई और जेल से बाहर रहने से केस को नुकसान नहीं होगा। कोर्ट यह भी देखता है कि क्या आरोपी का घर-परिवार उसके समर्थन में है या उसका स्वास्थ्य जोखिम में है।
कई बार अदालतें ‘बेलिस’ (जमानत) के विकल्प के रूप में अंतरिम जमानत देती हैं, ताकि न्याय प्रक्रिया बिना रुकावट चलती रहे और आरोपी को अनावश्यक कष्ट न झेलना पड़े। अगर कोर्ट को लगता है कि जेल में रहने से साक्ष्य छुप सकते हैं या गवाहों पर दबाव पड़ सकता है, तो वह अंतरिम जमानत नहीं देगा।
अभी कैसे माँगें?
अगर आपको लगता है कि आप या आपके परिचित को अंतरिम जमानत मिलनी चाहिए, तो सबसे पहले एक वकील से सलाह लें। वकील कोर्ट में ‘जमानती आवेदन’ दायर करेगा जिसमें नीचे लिखी चीज़ों की जरूरत पड़ेगी:
- आरोपी का पूरा नाम और केस नंबर
- फिरौती या जाँच के दस्तावेज़ जो दिखाते हों कि मामला अभी तय नहीं हुआ है
- पुलिस रिपोर्ट, मेडिकल प्रमाणपत्र (अगर स्वास्थ्य कारण हो)
- सुरक्षा जमा (जमा राशि) – कुछ मामलों में कोर्ट इसको भी लेता है ताकि अगर बाद में दोषी पाया जाए तो उसे जब्त किया जा सके।
आवेदन दायर होते ही कोर्ट तय करेगा कि कब सुनवाई होगी। अक्सर, यदि वकील ने सभी जरूरी कागजात सही ढंग से जमा कर दिए हों, तो कोर्ट दो हफ्ते के भीतर फैसला देता है। अगर अदालत ‘शर्त’ लगाकर अंतरिम जमानत देती है, तो आपको निर्धारित शर्तों (जैसे पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना) को फॉलो करना होगा, नहीं तो जमानत वापस ले ली जा सकती है।
हाल ही के केसों में देखा गया कि कई बार ‘अंतरिम जमानत’ मिलने से आरोपी की जिंदगी बची – जैसे किसी ने स्वास्थ्य समस्या बताकर तुरंत रिहाई पायी या दूसरे ने गलत गिरफ्तार होने पर कोर्ट से तुरन्त छूट मिली। इसलिए, सही दस्तावेज़ और समय पर कार्रवाई बहुत अहम है।
सार में, अंतरिम जमानत एक कानूनी उपकरण है जो न्याय प्रक्रिया को तेज रखता है और बेवजह की जेल सज़ा से बचाता है। अगर आप या आपका कोई जानकार इस स्थिति में है तो देर न करें – वकील से मिलें और आवश्यक कागजात तैयार कर कोर्ट में आवेदन दें।

दिल्ली शराब नीति घोटाले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने ऑफिस न जाने और जरूरी शर्तों का पालन करने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामले में अंतरिम जमानत दी। कोर्ट ने कई शर्तें लगाई जिनमें केजरीवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय न जाने का निर्देश शामिल है। उन्हें 50,000 रुपये का बांड और इसके समान एक जमानतदार देना होगा।
और पढ़ें