आईसीसि नियम – सरल भाषा में क्रिकेट के मुख्य कानून

क्रिकेट देखना या खेलना हो, अगर आप नियमों को ठीक से नहीं जानते तो अक्सर उलझन में पड़ जाते हैं। आईसीसि (ICC) ने जो नियम बनाए हैं, वो बहुत ही स्पष्ट हैं—बस उन्हें सही ढंग से समझ लें। इस लेख में हम सबसे ज़रूरी नियमों को आसान शब्दों में बताएंगे, ताकि आप खेल के हर पहलू में आत्मविश्वास महसूस करें।

मुख्य नियम और उनके प्रयोग

ओवर और बॉल: एक ओवर में ठीक छह वैध डिलीवरी होती हैं। यदि कोई बॉलर फ्री हिट, नो‑बॉल या वाइड देता है तो वह गेंद गिनती नहीं करती, बल्कि अतिरिक्त रन मिलते हैं और फिर भी वही ओवर पूरा करना पड़ता है। इससे बैटर को अतिरिक्त मौका मिलता है और टीम की स्कोरिंग में संतुलन बना रहता है।

डिक्लेरेशन: टेस्ट मैच में जब कोई टीम अपना इनिंग्स समाप्त करना चाहती है, तो वह कैप्टन डिक्लेयर कर सकता है। इसका मतलब है कि वे अपनी बैटिंग बंद करके दूसरी टीम को बॉल देना शुरू करते हैं। अगर सही समय पर डिक्लेयर किया जाए, तो जीत की संभावना बढ़ जाती है; बहुत देर से करने से उल्टा असर हो सकता है।

LBW (लेग‑बिफोर‑विकेट): यह नियम तब लागू होता है जब बॉल बैटर के पैरों को छूते हुए विकेट पर लगती है, जबकि वह पहले पैर की लाइन में नहीं होती। यदि अंपायर तय करता है कि बॉल वैध ट्रैजेक्टरी में थी और पिच से बाहर नहीं गई, तो बैटर आउट हो जाता है। यह सबसे अक्सर विवादित निर्णयों में से एक है, इसलिए DRS (ड्रोन रेफ़री सिस्टम) का उपयोग किया जाता है।

फील्डिंग प्रतिबंध: सीमापार फील्डर्स की संख्या पर सीमा लगाई गई है—पावरप्लेज़ के दौरान अधिकतम दो रिवर्स साइड फ़िल्डर और पाँच सामान्य क्षेत्र में फ़िल्डर हो सकते हैं। यह नियम बैटर को ज्यादा स्कोर बनाने से रोकता है और खेल को संतुलित रखता है।

पेनाल्टी रन: अगर फील्डिंग टीम कोई नियम तोड़ती है, जैसे कि बॉल को हिट करके वापस नहीं लौटाना या वाइडलाइन पर फील्डर होना, तो बैटिंग टीम को अतिरिक्त रन मिलते हैं। यह छोटे-छोटे उल्लंघनों को रोकने के लिए अहम है।

आम गलतफहमियां और उनका समाधान

कई बार दर्शकों को लगता है कि ‘वाइड’ सिर्फ बॉल का बाहर होना है, लेकिन वाइड में बैटर की पहुंच से बाहर कोई भी डिलीवरी शामिल होती है, चाहे वह लाइन के बाहर हो या नहीं। इसी तरह, नो‑बॉल केवल फुल टॉस पर नहीं बल्कि अगर बॉलर पैर आगे रखे बिना डिलीवर करे तो भी लागू होता है। इन बातों को समझने से आप रेफ़री के फैसलों को बेहतर ढंग से देख पाएंगे।

DRS का उपयोग अक्सर “त्रुटि” कह कर आलोचना की जाती है, पर असल में यह तकनीक केवल स्पष्ट त्रुटियों को ठीक करती है। यदि अंपायर ने आउट या नॉट‑आउट के बारे में गलत अनुमान लगाया हो तो खिलाड़ी इस सिस्टम से अपील कर सकते हैं। इससे खेल का न्यायिक पहलू मजबूत होता है और दर्शकों को भी संतोष मिलता है।

एक और आम ग़लती यह मान लेना है कि रेन डिल्स या पिच की खराबी पर बल्लेबाज़ हमेशा कम स्कोर करेंगे। वास्तविकता में, तेज़ बॉल वाले स्पिनर अक्सर ऐसी परिस्थितियों में अधिक असरदार होते हैं, क्योंकि पिच के घर्षण से गेंद टर्न करती है। इसलिए टीम रणनीति बनाते समय पिच रिपोर्ट को ध्यान में रखना चाहिए।

अंत में यह याद रखें—नियम सिर्फ कागज़ पर नहीं, बल्कि खेल की भावना को सुरक्षित रखने के लिए हैं। जब आप इन बुनियादी नियमों को समझ लेते हैं, तो न केवल खुद का अनुभव बेहतर होगा, बल्कि दूसरों के साथ चर्चा भी सुगम हो जाएगी। अगली बार जब आप मैच देखें या क्रिकेट मैदान में कदम रखें, तो ये बातें ज़रूर याद रखें और खेल का भरपूर मज़ा लें।

क्रिकेट में 'जैसे के लिए वैसे' प्रतिस्थापन नियम: आईसीसी का दिशानिर्देश और विवाद

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भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टी20 मैच में शिवम दुबे के स्थान पर हरशीत राणा का उपयोग करने से विवाद पैदा हो गया है कि क्या यह प्रतिस्थापन आईसीसी के 'जैसे के लिए वैसे' प्रतिस्थापन नियम का पालन करता है। आईसीसी के दिशानिर्देश इस बात पर जोर देते हैं कि प्रतिस्थापन घायल खिलाड़ी की संभावित भूमिका का मिलान करना चाहिए ताकि टीम को अनुचित लाभ न मिले।

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