सोना और चाँदी की कीमतें: सितंबर 2025 में रिकॉर्ड उच्च और बाजार सुधार

सोना और चाँदी की कीमतें: सितंबर 2025 में रिकॉर्ड उच्च और बाजार सुधार

सितंबर 2025 में धातुओं की कीमतों का जबरदस्त उछाल

सितंबर 2025 के शुरुआती दो हफ्तों में सोना और चाँदी दोनों ने तेज़ी से रिकॉर्ड स्तर पार किया। सोना, जो अक्टूबर 2023 में लगभग $1,800 पर लेन‑देन कर रहा था, उस आंकड़े से दो गुना से अधिक होकर $3,740 से ऊपर पहुँच गया। यह साल‑से‑अभी (YTD) 40% की वृद्धि और पिछले दो साल में 100% से अधिक की छलांग का कारन बना। चाँदी भी कम नहीं रही; कीमत $44 के करीब पहुंचते हुए 14‑साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई, जिससे दो‑साल में 120% का शुद्ध लाभ दर्ज हुआ।

इन तेज़ी से बढ़ती कीमतों के पीछे कई बुनियादी कारण छिपे हैं। सबसे बड़ा कारक वैश्विक महंगाई का निरन्तर दबाव है, जहाँ विशेषज्ञ 2025 के अंत तक 8‑10% के स्तर की भविष्यवाणी कर रहे हैं। महामारी‑पश्चात सरकारी खर्च, आपूर्ति शृंखला में व्यवधान और ऊर्जा कीमतों में उछाल ने यह महंगाई को स्थायी बना दिया। ऐसे माहौल में निवेशक अक्सर सोने जैसे सुरक्षित आश्रय में अपना पैसा डाले बिना नहीं रह पाते।

  • उच्च महंगाई के कारण वास्तविक व्याज दरें नकारात्मक क्षेत्र में रहना।
  • भूराजनीतिक तनाव और बाजार की अस्थिरता से सुरक्षा की चाह।
  • विदेशी मुद्रा में गिरावट के चलते धातुओं की मौद्रिक आकर्षण में इज़ाफ़ा।

इसी बीच, चाँदी की औद्योगिक माँग ने भी कीमतों को धक्का दिया। सौर पैनल, इलेक्ट्रिक कार बैटरियां और नई इलेक्ट्रॉनिक तकनीकों में चाँदी का उपयोग लगभग 30% तक बढ़ा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 के अंत तक औद्योगिक माँग आपूर्ति से 15% आगे निकल सकती है, जिससे असंतुलन और मूल्य समर्थन के नए स्तर बनेंगे।

भविष्य की दिशा: क्या कीमतें फिर बढ़ेंगी?

भविष्य की दिशा: क्या कीमतें फिर बढ़ेंगी?

वॉल‑स्ट्रिट के बड़े खिलाड़ियों ने इस रैली को धीरज देने में अहम भूमिका निभाई है। गोल्डमैन सैक्स, जेपी मॉर्गन और डॉयचे बैंक जैसे संस्थानों ने सोने की कीमतों के लिए अत्यधिक आशावादी लक्ष्य तय किए हैं। विशेष तौर पर गोल्डमैन सैक्स ने 2026 तक सोना कीमत के $5,000 तक पहुंचने की संभावना बताई है। ऐसी संस्थागत समर्थन ने बाजार में फ़ॉलो‑ऑन खरीदारी को बढ़ावा दिया, जिससे कीमतों को अतिरिक्त मजबूती मिली।

फिर भी विश्लेषक चेतावनी देते हैं कि मौजूदा स्तरों पर तेज़ी से और अधिक वृद्धि आसान नहीं होगी। छोटे‑मध्यम समय में कीमतें समायोजन और अस्थिरता के दौर से गुज़र सकती हैं। निवेशकों को अपने पोर्टफ़ोलियो में जोखिम‑प्रबंधन को प्राथमिकता देनी चाहिए, जैसे कि स्टॉप‑लॉस आदेशों का प्रयोग या धातु‑आधारित ETF में विविधीकरण।

  1. बाजार के अल्पकालिक उतार‑चढ़ाव के कारण लाभ‑हानी के प्रबंधन में सावधानी बरतें।
  2. औद्योगिक मांग और सप्लाई‑डिमांड गैप को निरंतर ट्रैक करें।
  3. भूराजनीतिक और आर्थिक संकेतकों जैसे महंगाई, ब्याज दरें और मुद्रा मूल्य में बदलाव पर नज़र रखें।

अभी के लिए धातुओं की कीमतों में ठहराव का मतलब यह नहीं है कि रैली समाप्त हो गई है। बल्कि यह एक प्राकृतिक पुलाव है, जहाँ निवेशक नए मूल्य स्तरों पर अपनी रणनीति को फिर से परखते हैं। इस काल में उचित जांच‑परख और सतर्कता के साथ आगे बढ़ना ही बेहतर परिणाम देगा।