नोवाक जोकोविच के जन्मदिन का जश्न, जीत के साथ पहुंचे जिनेवा ओपन के क्वार्टर-फाइनल में

नोवाक जोकोविच के जन्मदिन का जश्न, जीत के साथ पहुंचे जिनेवा ओपन के क्वार्टर-फाइनल में

नोवाक जोकोविच का जन्मदिन और जीत

नोवाक जोकोविच ने अपने जन्मदिन का जश्न जिनेवा ओपन के मैदान पर मनाया। 37 वर्ष की उम्र में प्रवेश करते हुए, उन्होंने जर्मन खिलाड़ी यानिक हनफमैन को 6-3, 6-3 से हराया। यह जीत उन्हें टेनिस के एटीपी 250 टूर्नामेंट के क्वार्टर-फाइनल में ले गई।

इतालवी ओपन का झटका और वापसी

जोकोविच के लिए यह जीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि इटैलियन ओपन से उनका जल्दी बाहर होना उनके प्रशंसकों के लिए एक निराशाजनक क्षण था। एक बोतल से हुई सिर की चोट के कारण उन्हें टूर्नामेंट बीच में ही छोड़ना पड़ा था। उसके बाद, उनकी हालत को लेकर चिंता बनी हुई थी। चिकित्सकीय परीक्षण के बाद, उन्हें स्विस इवेंट के लिए वाइल्ड कार्ड एंट्री मिली और उन्होंने इस मौके को बखूबी कामयाब किया।

हानफमैन के खिलाफ मुकाबला

जनश्रुति है कि हनफमैन ने पहले राउंड में एंडी मरे को हराया था, जिससे यह मैच और भी चुनौतीपूर्ण हो गया। जोकोविच ने पहले सेट के छठे गेम में हनफमैन की सर्विस ब्रेक करवाई और सेट को 6-3 से समाप्त किया। हालांकि दूसरे सेट की शुरुआत जोकोविच के लिए कठिनाईयों से भरी रही। वह 3-0 से पीछे हो गए थे लेकिन फिर उन्होंने जबर्दस्त वापसी करते हुए लगातार छह गेम जीते और मुकाबले को अपने नाम किया।

जीत का महत्व और करियर का सफर

जोकोविच की इस जीत के अनेक मायने हैं। एक तो यह उनके शानदार करियर में एक और उपलब्धि जोड़ती है, साथ ही यह उनके प्रशंसकों के लिए भी एक राहत भरी खबर है। नोवाक हमेशा से ही अपनी भावनात्मक और मानसिक ताकत के लिए जाने जाते हैं और इस जीत ने उनके इन गुणों को और भी उजागर किया है। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी के रूप में वह निरंतर अपने खेल में निखार लाते रहे हैं और यह जीत उनको और भी प्रेरित करेगी।

जोकोविच के आगे के रास्ते

आगे जिनेवा ओपन के क्वार्टर-फाइनल में जोकोविच का सामना कड़े मुकाबलों से होगा। उनकी आगामी रणनीति में इस जीत से मिली मानसिक और भावनात्मक ताकत का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

नोवाक जोकोविच ने अपने 37वें जन्मदिन के अवसर पर जिनेवा ओपन में यानिक हनफमैन को हराकर अपनी शक्ति, अनुशासन और खेल के प्रति अपने समर्पण का एक और उदाहरण पेश किया है। उम्मीद की जा रही है कि वह इसी जज्बे के साथ आगे के मुकाबलों में भी अपना जलवा बिखेरेंगे।

16 Comments

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    Khaleel Ahmad

    मई 25, 2024 AT 16:06
    37 साल की उम्र में ये जीत देखकर लगता है कि बस इतना ही नहीं, अभी भी बहुत कुछ बाकी है। जोकोविच के खेल का जादू अभी खत्म नहीं हुआ।
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    Liny Chandran Koonakkanpully

    मई 26, 2024 AT 10:11
    अरे ये तो बस बुढ़ापे की चाल है! 😒 अब तो बच्चे भी इतना अच्छा खेलते हैं, ये तो अपने नाम के लिए लड़ रहे हैं। जब तक ग्रैंड स्लैम नहीं जीतते, तब तक कोई बात नहीं! 😤
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    Anupam Sharma

    मई 27, 2024 AT 20:16
    kya baat hai yaar... 37... 37 yaar... matlab toh abhi tak koi age limit nahi hai... aur haan... ye hanfmann wala banda... usne andy murray ko beat kiya tha... matlab ye match koi ordinary match nahi tha... lekin joker ne phir bhi apne dimaag se jeet liya... kya baat hai... yehi toh real tennis hai... bhaiya... yehi toh legacy hai... 🤔
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    Payal Singh

    मई 29, 2024 AT 05:48
    यह जीत बस एक मैच नहीं, यह एक अनुशासन, एक आत्मविश्वास, एक अदम्य इच्छाशक्ति का प्रमाण है। जोकोविच ने न सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में, बल्कि एक इंसान के रूप में अपने आप को दर्शाया है। इस जीत के लिए उन्हें बधाई! 🙏❤️
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    avinash jedia

    मई 30, 2024 AT 15:38
    37 साल का हो गया तो भी जीत गया? ये लोग तो असली नहीं, एलियन हैं।
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    Shruti Singh

    जून 1, 2024 AT 01:36
    ये जीत देखकर लगता है कि हारने का मतलब ही कुछ नहीं है! जोकोविच ने दिखा दिया कि जब तक दिल धड़कता है, तब तक लड़ना बंद नहीं होता! जीत ने नहीं, लेकिन लड़ने के जज्बे ने जीत दिलाई! 🔥
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    Kunal Sharma

    जून 1, 2024 AT 09:22
    इस जीत का असली महत्व यह नहीं कि उन्होंने एक टेनिस मैच जीता, बल्कि यह है कि उन्होंने अपने शरीर की बातों को नज़रअंदाज़ करके, अपने मन की आवाज़ को सुना, और फिर भी वहाँ खड़े हो गए जहाँ दुनिया उन्हें नहीं देखना चाहती थी। यह एक ऐसा विजय है जिसे आँखों से नहीं, दिल से देखना पड़ता है।
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    Raksha Kalwar

    जून 3, 2024 AT 02:14
    मानसिक ताकत का असली नमूना। एक बोतल की चोट के बाद भी वापसी करना, फिर तीन गेम पीछे होकर छह गेम लगातार जीतना। यह टेनिस नहीं, यह जीवन का सबक है। बधाई हो, नोवाक।
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    himanshu shaw

    जून 4, 2024 AT 17:18
    ये सब बस एक शो है। इन्हें वाइल्ड कार्ड मिली, तो इनकी खबरें चल रही हैं। अगर यही तरीका है तो हर एक बुढ़ा खिलाड़ी को वाइल्ड कार्ड दे देना चाहिए। ये सब बस नाम की चमक है।
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    Rashmi Primlani

    जून 6, 2024 AT 06:50
    इस जीत का असली अर्थ यह है कि उम्र कभी बाधा नहीं हो सकती अगर इच्छाशक्ति जीत जाए। जोकोविच ने न केवल एक मैच जीता, बल्कि एक सोच को भी जीता। यह एक ऐसा उदाहरण है जिसे हर युवा पीढ़ी को देखना चाहिए।
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    harsh raj

    जून 7, 2024 AT 16:51
    इस जीत को देखकर लगता है कि जब तक दिमाग तेज है, तब तक बाकी सब कुछ बस एक चुनौती है। हनफमैन ने अच्छा खेला, लेकिन जोकोविच की आत्मा ने जीत ली। बहुत बढ़िया खेल।
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    Prakash chandra Damor

    जून 8, 2024 AT 22:06
    क्या हनफमैन ने असली तौर पर मरे को हराया था या बस खबर में ऐसा लिखा गया था और वो भी तभी जब जोकोविच खेल रहे थे
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    Rohit verma

    जून 10, 2024 AT 16:10
    ये जीत देखकर लगता है कि हम भी कुछ बड़ा कर सकते हैं... अगर इतना बड़ा खिलाड़ी भी बीच में टूट गया और फिर वापस आ गया, तो हम जो रोज छोटी-छोटी चीजों में हार जाते हैं, वो क्या है? 💪❤️
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    Arya Murthi

    जून 10, 2024 AT 21:38
    जोकोविच का खेल देखने के बाद लगता है कि ये टेनिस नहीं... ये एक धर्म है। उनकी आँखों में जो जुनून है, वो बस एक खिलाड़ी में नहीं, एक इंसान में होता है। बहुत बढ़िया।
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    Manu Metan Lian

    जून 12, 2024 AT 11:10
    आप जिस तरह से इस जीत को आदर्श बना रहे हैं, वह देखकर लगता है कि आपको वास्तविकता से बचने की आदत है। यह एक टूर्नामेंट का एक मैच है, जिसे आपने एक जीवन के संदेश के रूप में बढ़ा दिया है। यह अतिशयोक्ति है।
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    Debakanta Singha

    जून 13, 2024 AT 21:34
    जोकोविच ने बस एक मैच जीता है। इसके बाद क्या हुआ? कोई ग्रैंड स्लैम नहीं जीता। ये सब बस बहाना है। असली खिलाड़ी वो हैं जो टूर्नामेंट जीतते हैं, न कि खबरों में आते हैं।

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