जो रूट का सचिन तेंदुलकर के टेस्ट रन रिकॉर्ड पर प्रतिक्रीया: 'मैं केवल टीम के लिए खेलना चाहता हूँ'

जो रूट का सचिन तेंदुलकर के टेस्ट रन रिकॉर्ड पर प्रतिक्रीया: 'मैं केवल टीम के लिए खेलना चाहता हूँ'

जो रूट का शानदार प्रदर्शन

इंग्लैंड के प्रमुख बल्लेबाज जो रूट ने हाल ही में श्रीलंका के खिलाफ लॉर्ड्स में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में असाधारण प्रदर्शन किया। उन्होंने लगातार दो शतक जड़कर खुद को न केवल इंग्लिश क्रिकेट का हीरो साबित किया, बल्कि क्रिकेट जगत में भी एक नया मानदंड स्थापित किया।

रूट के इस प्रदर्शन के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि वे सचिन तेंदुलकर के टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं। हालांकि रूट ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत मील के पत्थर से अधिक महत्वपूर्ण टीम की जीत है। उन्होंने कहा, 'मैं केवल खेलना चाहता हूँ, और टीम के लिए जितना संभव हो सके उतने रन बनाना चाहता हूँ।'

रूट का अब तक का सफर

33 वर्षीय जो रूट ने अपने टेस्ट करियर में अब तक 34 शतक जड़े हैं, जो कि इंग्लैंड के किसी भी बल्लेबाज के लिए सर्वाधिक हैं। इस उपलब्धि के साथ ही उन्होंने अलास्टेयर कुक के 33 शतकों के रिकॉर्ड को भी पार कर लिया है। रूट ने तेंदुलकर के रिकॉर्ड को तोड़ने की संभावना पर कहा कि उनके लिए व्यक्तिगत उपलब्धियों से ज्यादा टीम की जीत महत्वपूर्ण है।

रूट अब तेंदुलकर के 15470 टेस्ट रन के पीछे सिर्फ 3544 रन से कम पर हैं। यह अंतर कम होते ही, रूट टेस्ट क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बन सकते हैं। हालांकि, रूट का ध्यान हमेशा अपने बल्लेबाजी सुधार और टीम की सफलता पर केंद्रित रहा है।

टीम के प्रति समर्पण

टीम के प्रति समर्पण

जो रूट का कहना है कि टीम के लिए रन बनाना उनके लिए हमेशा प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा, 'मैच जीतना व्यक्तिगत रिकॉर्ड से अधिक महत्वपूर्ण है।' रूट की यह दृष्टिकोण उन्हें एक महान खिलाड़ी बनाती है और उनका यह समर्पण इंग्लैंड टीम के लिए भी महत्वपूर्ण है।

रूट ने अपने हालिया प्रदर्शन में न केवल तेंदुलकर के रिकॉर्ड को ट्वीट किया बल्कि ब्रायन लारा के 11953 रन के पारी को भी पार कर लिया। इन उपलब्धियों के बावजूद, रूट का ध्यान हमेशा टीम की जीत पर रहता है।

भविष्य की उम्मीदें

जो रूट का क्रिकेट करियर अब भी अपने शिखर पर है और उनकी उम्र को देखते हुए यह संभावना है कि वे आने वाले वर्षों में और भी अधिक रनों का संकलन करेंगे। रूट का कहना है कि वे सिर्फ अपनी टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं और व्यक्तिगत मील के पत्थर उनके लिए द्वितीयक हैं।

खेल विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रूट इसी तरह खेलते रहे, तो वे निश्चित रूप से तेंदुलकर के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं। लेकिन रूट के लिए यह सब कुछ नहीं है, उनके लिए अहम है टीम की सफलता और टीम को जीत दिलाने का जज्बा।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

जो रूट का सफलता और समर्पण का सफर जारी है। उनके इस दृष्टिकोण और खेल के प्रति जुनून ने उन्हें क्रिकेट के महान खिलाड़ियों की सूची में शामिल कर दिया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि रूट आने वाले मैचों में और क्या कर सकते हैं।