गरे मार्केट क्या है? जोखिम और भारत में आम उदाहरण
जब आप कोई नया फोन या दवा सस्ते में देखते हैं, तो अक्सर सोचते हैं – ये कहाँ से आया? यही जगह है ‘ग्रे मार्केट’। आधिकारिक चैनल के बाहर बेचा जाने वाला सामान इसे कहते हैं। यहाँ नियम‑कायदे नहीं होते, इसलिए कीमत कम दिखती है पर साथ ही कई अंजाम भी हो सकते हैं।
गरे मार्केट की असली समझ
ग्रे मार्केट मतलब वह व्यापार जहाँ उत्पाद आधिकारिक आयात या लाइसेंस के बिना बेचा जाता है। यह काला बाजार से अलग होता है, क्योंकि यहाँ अक्सर सामान मूल रूप से वैध होते हैं, बस उन्हें अनधिकृत रिवेन्यू चैनल से लाया गया है। उदाहरण के तौर पर, एक फोन जो विदेश में बना और फिर भारत में बिना टैक्स या इम्पोर्ट ड्यूटी के आयात किया गया हो – वही ग्रे मार्केट का उत्पाद बनता है।
ऐसे सामान अक्सर ‘डीलर’, ‘ट्रेडिंग कंपनी’ या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर मिलते हैं, जहाँ वे सीधे निर्माताओं से या दूसरे देशों के थोक बाजारों से खरीद कर बेच देते हैं। कीमत कम होने की वजह से ग्राहक आकर्षित होते हैं, पर बाद में वारंटी, सॉफ्टवेयर अपडेट या सुरक्षा सपोर्ट नहीं मिलता।
भारत में अक्सर देखे जाने वाले ग्रे मार्केट उदाहरण
1. **इलेक्ट्रॉनिक्स** – स्मार्टफोन, लैपटॉप और कैमरा बहुत लोकप्रिय हैं। कई लोग विदेश से लाए हुए मॉडल बिना स्थानीय ड्यूटी के बेचते देखते हैं। ये डिवाइस कभी‑कभी नेटवर्क संगतता या सॉफ़्टवेयर अपडेट में दिक्कतें पैदा कर सकते हैं। 2. **दवाइयाँ** – कुछ मरीज़ महँगी दवा को कम कीमत पर खरीदने के लिए ग्रे मार्केट का सहारा लेते हैं। लेकिन पैकेजिंग, एक्सपायरी डेट या वास्तविक घटक की गुणवत्ता में समस्या हो सकती है, जो स्वास्थ्य के लिये खतरनाक है। 3. **कार और बाइक** – विदेशी कारें बिना आयात शुल्क के ‘साइड‑बॉय’ तरीके से भारत में आती हैं। इनके रजिस्ट्रेशन, बीमा और सर्विसिंग अक्सर मुश्किल बनती है, क्योंकि आधिकारिक डीलरशिप सपोर्ट नहीं देता। 4. **फैशन और लक्ज़री आइटम** – ब्रांडेड बैग या घड़ियों को बहुत कम कीमत पर दिखाते हैं। लेकिन अक्सर ये नकली या रीफ़्रेंड होते हैं, जो मूल उत्पाद की गुणवत्ता से काफी घटे हुए होते हैं।
इन सब में एक सामान्य बात है – आप ‘सस्ता’ तो पाते हैं, मगर बाद में वारंटी नहीं मिलती, रिटर्न मुश्किल होता और कभी‑कभी कानूनी परेशानी भी हो सकती है। भारत की कस्टम और उपभोक्ता संरक्षण बोर्ड (सीपीसी) ग्रे मार्केट को रोकने के लिये कदम उठा रहा है, पर पूरी तरह से खत्म करना आसान नहीं है।
अगर आप फिर भी ग्रे मार्केट से खरीदना चाहते हैं, तो कुछ बातें याद रखें: विक्रेता की रेप्यूटेशन चेक करें, रसीद और वारंटी कार्ड माँगें, और सबसे अहम – उत्पाद को लेकर स्थानीय सर्विस सेंटर में जांच करवाएँ। इससे छोटे‑मोटे जोखिम कम हो सकते हैं।
समझदारी यही है कि जब भी कोई ऑफर ‘बहुत अच्छा’ लगे, तो एक बार सोचे। अक्सर सस्ता सामान महँगा पड़ता है, चाहे वो पैसे की बचत के रूप में हो या बाद में झंझट के तौर पर। ग्रे मार्केट को समझना और उसके खतरों से खुद को बचाना ही सबसे बेहतर तरीका है।

बीटीए व्रज आयरन और स्टील आईपीओ जीएमपी टुडे: निवेशकों के लिए ग्रे मार्केट क्या कह रहा है
बीटीए व्रज आयरन और स्टील का प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) जल्द ही खुलने वाला है और निवेशक इस कंपनी में निवेश करने के मौके का इंतजार कर रहे हैं। आईपीओ से पहले, ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) ₹240-250 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है, जो इस आईपीओ के लिए मांग को दर्शाता है। कंपनी ₹1,200 करोड़ जुटाने की योजना बना रही है, जिसका उपयोग ऋण की चुकौती और कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
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