Maharashtra की Ladki Bahin Yojana में 2,652 सरकारी कर्मचारियों ने किया ₹3.58 करोड़ का धोखा

Maharashtra की Ladki Bahin Yojana में 2,652 सरकारी कर्मचारियों ने किया ₹3.58 करोड़ का धोखा

योजना का परिचय और उद्देश्य

Ladki Bahin Yojana महाराष्ट्र सरकार ने 2024 में लॉन्च की थी, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को मासिक ₹1,500 की वित्तीय सहायता मिल सके। योजना का लक्ष्य बस्तियों, दलित व आदिवासी क्षेत्रों की महिलाओं को सशक्त बनाना और उनकी आर्थिक स्थितियों में सुधार लाना है। सभी पात्र लाभार्थियों को अपने आय‑कर रिटर्न, आय प्रमाण और एनोवनसस सहित अन्य दस्तावेजों के आधार पर चयनित किया जाता है। नियम स्पष्ट रूप से सरकारी या अर्धसरकारी नौकरी में कार्यरत महिलाओं को इस लाभ से बाहर रखते हैं, क्योंकि उनके पास पहले से ही स्थिर आय स्रोत होता है।

रिलीज़ के बाद से कई जिलों में इस योजना को बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, और अधिकारियों ने इसको शीघ्रता से लागू करने के लिए विशेष आयुक्त भी नियुक्त किए। लेकिन तेज़ी से वितरण की प्रक्रिया में कई जगह पर जाँच‑परख की कमी रही, जो बाद में बड़े पैमानों पर धोखाधड़ी का कारण बनी।

धोखाधड़ी की खोज और परिणाम

राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने 1.6 लाख सरकारी कर्मचारियों की एक तालिका आईटी विभाग को दी, जिसमें यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर (UID) शामिल थे। इस डेटा को क्रॉस‑वेरिफ़िकेशन टूल से चलाने पर पता चला कि 2,652 वर्ग‑III व वर्ग‑IV की महिला कर्मचारियों ने योजना के तहत 9 महीने (अगस्त 2024‑अप्रैल 2025) में कुल ₹13,500 प्रत्येक प्राप्त किए थे, जिससे कुल दावेदारी ₹3.58 crore बन गई।

इन कर्मचारियों ने अपने आधिकारिक पहचान को घोटाले के माध्यम से संशोधित किया, जिससे वे लाभार्थी सूची में शामिल हो गईं। उनके बैंक खातों को सीधे योजना के वित्तीय पोर्टल से जुड़वाया गया, जिसके कारण भुगतान बिना किसी अतिरिक्त जाँच के ट्रांसफ़र हो गया। यह सिलसिला तब उजागर हुआ जब एक स्वतंत्र ऑडिट रिपोर्ट में अनियमितता का उल्लेख किया गया और मीडिया ने इसे सार्वजनिक कर दिया।

इसके अलावा, इस योजना में अन्य बड़े पैमाने पर irregularities की भी सूचना मिली है। कुछ संस्थाओं ने पुरुषों को महिला के रूप में पंजीकृत कर लाखों रुपये की फाइलें तैयार कीं, जिससे कुल अनुमानित धोखाधड़ी ₹4,800 crore तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा दायरे की व्यापकता को दर्शाता है, जहाँ केवल सरकारी कर्मचारियों ही नहीं, बल्कि कई निजी नागरिक भी लाभ उठाने में शामिल हैं।

सरकार ने तुरंत आय‑कर डेटा के साथ पुनः मिलान करने का आदेश दिया, ताकि अतिरिक्त झूठे लाभार्थी पहचानें पकड़ी जा सकें। वित्त विभाग ने कहा कि गैर‑वित्तीय लाभार्थियों को रिकवरी प्रक्रिया शुरू की जाएगी, और यदि आवश्यक हो तो राजस्व अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

विपरीत पक्ष से इस पर तीखा विरोध है। भाजपा की वरिष्ठ नेता सु프्रिया सुले ने इस ₹4,800 crore के व्यापक धोखा मामले पर विशेष जांच टीम (SIT) की मांग की है, साथ ही विपक्षी दलों ने इस योजना की पारदर्शिता और निगरानी तंत्र को सुदृढ़ करने की पुकार की है।

  • आय‑कर रिटर्न के साथ पुनः मिलान
  • गैर‑वित्तीय लाभार्थियों को वसूली कार्यवाही
  • संपूर्ण योजना के लिए डिजिटल एटेस्टेशन सिस्टम का परिचय
  • SIT गठन और रिपोर्ट पेश करने का समय‑सीमा

इसी बीच, लाभार्थी महिलाओं में से कई ने योजना के मूल उद्देश्यों को समझते हुए अपना समर्थन जताया है, परंतु उन्हें भी अब इस प्रक्रिया में भागीदारी करने का अधिकार नहीं मिला है, क्योंकि सभी लाभों को पुनः जाँच के अधीन कर दिया गया है। राज्य सरकार के अतीत में इस तरह के बड़े पेमेन्ट स्कीमों में कभी‑कभी जाँच‑परख की कमी रही है, और इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि डिजिटल निगरानी और स्वतंत्र ऑडिट को अनिवार्य बनाना आवश्यक है।