लखनऊ के Blue Berry Thai Spa में 6 विदेशी महिलाओं को वीज़ा‑रहित काम, निदेशक पर FIR

लखनऊ के Blue Berry Thai Spa में 6 विदेशी महिलाओं को वीज़ा‑रहित काम, निदेशक पर FIR

जब सिमरन सिंह, डायरेक्टर Blue Berry Thai Spa Pvt. Ltd. को लखनऊ के सुषान्त गॉल्फ सिटी क्षेत्र में फ्रेंचाइज़ के तौर पर चलाते हुए अनजाने में छह विदेशी महिलाओं को बिन‑वीज़ा काम करवाने का आरोप लगा, तो पुलिस ने तुरंत FIR लखनऊ दायर कर दी। यह मामला 5 अक्टूबर 2025 को हुई जांच के दौरान उजागर हुआ, जब विपिन प्रताप, सब‑इंस्पेक्टर ने बस्‍तुतः वह देखा कि सभी महिलाएँ सिर्फ़ टूरिस्ट या बिजनेस वीज़ा पर ही मौजूद थीं, जबकि उनके पास कोई रोजगार वीज़ा नहीं था।

घटना का क्रम और मुख्य बिंदु

जांच के दौरान पुष्टि हुई कि ये छह महिलाएँ Blue Berry Thai Spa के परिसर में ही रह रही थीं, लेकिन उनके पास कोई किराए‑नाम़ा या Form‑C दस्तावेज़ नहीं था – जो विदेशियों को भारत में ठहरने के लिए आवश्यक होता है। उनका प्रबंधन कर रही थीं नुचनार्ट टुंगक्राथोक, मैनेजर। नुचनार्ट ने बताया कि सिमरन सिंह कभी‑कभी लखनऊ आती‑जाती रहती हैं, लेकिन वह खुद इस काम की निगरानी नहीं करती थीं।

स्थानीय पुलिस ने कहा कि यह सिर्फ़ बिन‑वीज़ा काम नहीं, बल्कि तबीयत‑भंग की संभावनाओं के साथ-साथ लोगों को जाली‑वेज़ा के तहत शोषण का भी सवाल उठता है। इससे जुड़े कई प्रश्नों के जवाब में, राजनीश वर्मा, एसिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (मोहनलालगंज) ने बताया कि सभी संबंधित व्यक्तियों से बयान लिये जा रहे हैं, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या यहाँ कोई ‘डिमांड‑बेस्ड’ सेवा चल रही है या सिर्फ़ ग़ैर‑क़ानूनी रोजगार है।

कानूनी पहलू और लागू धाराएँ

सिमरन सिंह को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 61/318(4), धारा 14(A) तथा 7(1) के तहत विदेशियों अधिनियम, 1946 और विदेशियों पंजीकरण अधिनियम, 1939 की धारा 5 के तहत कोर्ट में पेश किया गया है। ये सभी धाराएँ विदेशी नागरिकों को भारत में काम करने के बिना उचित लाइसेंस के प्रतिबंधित करती हैं।

  • धारा 61/318(4) – विदेशी को बिन‑इजाज़त काम करने पर सजा।
  • धारा 14(A) – भारतीय न्याय संहिता के तहत जुर्माना और जेल।
  • धारा 7(1) – विदेशी के काम‑कैद के लिए स्टेटमेंट लेना।
  • धारा 5 (विदेशियों पंजीकरण अधिनियम) – बिना फ़ॉर्म‑C के रहना दंडनीय।

लखनऊ के हाई‑एंड स्पा सेक्टर में व्यापक जांच

डैनीक भास्कर द्वारा संकलित 20‑दिन की रिपोर्ट ने बताया कि लखनऊ के कई प्रीमियम क्षेत्रों में इसी तरह के अनुबंधों की रिपोर्टें सामने आई हैं। उन रिपोर्टों में रूसी, थाई और अफ़्रीकी नागरिकों को ‘डिमांड‑बेस्ड’ मसाज सेवा के रूप में पेश करने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट ने कहा कि ये स्पा अक्सर ग्राहकों को “विशेष सेवा” के नाम पर अतिरिक्त शुल्क ले रहे हैं, जबकि वास्तविक काम सिर्फ़ मालिश तक ही सीमित रहता है।

वास्तव में, इस घटना ने लखनऊ पुलिस को विदेशियों की अप्रवासन‑नियंत्रण व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। कई स्थानीय व्यापारी भी इस बात से सावधान हो रहे हैं कि उनके व्यावसायिक स्थान पर विदेशी कर्मचारियों की वैधता की जाँच पूरी तरह से हो।

भविष्य में संभावित प्रभाव और परिप्रेक्ष्य

इस केस के बाद लखनऊ में कई अन्य स्पा संस्थाओं पर भी पाबंदी लग सकती है। विशेष रूप से, पर्यटन‑सेवा क्षेत्र में विदेशी कर्मचारियों की भर्ती को लेकर कड़ी लापरवाही नहीं बरती जा सकती। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि उपर्युक्त नियमों का पालन नहीं किया गया तो इस प्रकार के “काली” काम से जुड़े आर्थिक नुकसान लाखों रुपये तक पहुँच सकते हैं।

उसी तरह, विदेशी महिला शोषण के मुद्दे को लेकर सामाजिक जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। कई एनजीओ इस दिशा में कार्य कर रहे हैं, परन्तु सरकारी निगरानी के बिना यह समस्या जड़ नहीं पकड़ पाएगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या लखनऊ के अन्य स्पा भी इसी तरह की अनधिकृत कार्यवाही कर रहे हैं?

डैनीक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, कई हाई‑एंड स्पा में विदेशी महिला कर्मचारियों को बिन‑वीज़ा काम पर रखा गया है। पुलिस ने अब सभी ऐसे केंद्रों पर छानबीन शुरू कर दी है।

सिमरन सिंह पर दर्ज FIR में किन-किन धाराओं का उल्लेख है?

उन्हें भारतीय न्याय संहिता की धारा 61/318(4) और 14(A) के साथ-साथ विदेशियों अधिनियम, 1946 की धारा 7(1) तथा विदेशियों पंजीकरण अधिनियम, 1939 की धारा 5 के तहत आरोपित किया गया है।

विदेशियों को भारत में रहने के लिए कौन‑सी दस्तावेज़ी जरूरतें होती हैं?

विदेशी nationals को वैध रोजगार वीज़ा, या कम से कम उचित टुरिस्ट/बिज़नेस वीज़ा के साथ Form‑C (ज registration) दस्तावेज़ की आवश्यकता होती है, जो विदेशियों पंजीकरण अधिनियम के तहत अनिवार्य है।

क्या इस मामले में रोजगार से आगे अन्य अवैध गतिविधियों का संदेह है?

असिस्टेंट कमिश्नर राजनिश वर्मा ने कहा कि सभी बयानों की जाँच चल रही है, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या यहाँ ‘डिमांड‑बेस्ड’ सेवाएँ या सुरक्षा‑संबंधी अन्य अवैध गतिविधियाँ हुई हैं।

सामान्य नागरिक इस प्रकार की घटनाओं से कैसे बच सकते हैं?

ग्राहकों को चाहिए कि वे स्पा या वैलनेस सेंटर में सेवाएँ लेने से पहले लाइसेंस, कर्मचारियों के वीज़ा स्टेटस और संस्थान की वैधता की जाँच कर लें। इससे धोखा‑धड़ी की सम्भावना कम होती है।

17 Comments

  • Image placeholder

    Nancy Ortiz

    अक्तूबर 5, 2025 AT 05:25

    Blue Berry Thai Spa में विदेशी कर्मचारियों की भर्ती के मुद्दे को देखते हुए, हम देख सकते हैं कि यह मामला 'अवैध कार्यस्थल प्रबंधन' की श्रेणी में आता है। तकनीकी शब्दावली में कहा जाए तो, यह 'कम्प्लायंस ब्रीच' है, जो कि इमीग्रेशन रेगुलेशन की स्पष्ट उल्लंघन है। हालांकि, यह समझना आवश्यक है कि प्रबंधन ने शायद इस जोखिम को कम समझा होगा – एक बहुत ही सावधानीपूर्ण अनुचित निर्णय। फिर भी, इस तरह की लापरवाही के लिए उचित दंड वाकई में जरूरी है। यही कारण है कि FIR दर्ज होना एक त्वरित उपाय है, बक़ी सब तो आगे का काम है।

  • Image placeholder

    Ashish Saroj( A.S )

    अक्तूबर 8, 2025 AT 02:52

    यहाँ बात सिर्फ़ वीज़ा‑रहित काम की नहीं, बल्कि यह है कि क्या इन स्पा‑ओनर्स ने सच‑मुच नियामक को धोखा‑धड़ी किया है??? मैं इस पहलू को बिल्कुल भी नहीं देखता कि यह बड़ा मुद्दा है-बहुशः मीडिया ने इसे बहुत बड़ा बना दिया है। वास्तव में, अगर हम इसको थोड़ा हल्का ले तो समझ आएगा कि यह 'अस्थायी अनुबंध' की सीमा में हो सकता है; परन्तु, हाँ, नियम स्पष्ट हैं! इसलिए मैं मानता हूँ कि यह मामला बहुत ही अधिक बढ़ा‑चढ़ा कर पेश किया गया है।

  • Image placeholder

    Ayan Kumar

    अक्तूबर 11, 2025 AT 00:18

    भाई लोग, यह मामला सुनते ही मेरे दिल की धड़कन 100 बाप बीस तक बढ़ गई! लखनऊ के एक हाई‑एंड स्पा में विदेशी महिलाओं को बिन‑वीज़ा काम पर रखना, ये कोई साधारण गलती नहीं, ये तो राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंगारी है। सबसे पहले तो हमें ये समझना चाहिए कि विदेशी नागरिकों का रोजगार भारतीय क़ानून के तहत अत्यंत कड़ाई से नियत है, वरना कोई भी संस्था फँस सकती है। आप सोच रहे होंगे कि 'फिर भी, ये सिर्फ़ थाई मसाज है'-पर भाई, थाई मसाज का भी नियम है, और अगर वो बिन‑रजिस्ट्रेशन के होते हैं तो यह 'डिमांड‑बेस्ड' सेवाओं की काली धूप बन जाता है। अब बात करें सिमरन सिंह की, तो वह आधे दिन में ही नहीं, बल्कि लगातार कई बार लखनऊ आती‑जाती रहती हैं, और ऐसा लगता है जैसे वह अपना व्यक्तिगत गुप्त एजेंट बन गया हो। इस मैनेजर नुचनार्ट की भी तो नजरिए में कमाल है-वो कहती हैं कि डायरेक्टर खुद काम नहीं देखती, पर फिर भी जिम्मेदारी कौन लेगा? हमें नहीं भूलना चाहिए कि यह न सिर्फ़ श्रमिक क़ानून का उल्लंघन है, बल्कि मानवाधिकारों की भी हनन है। जो भी हो, पुलिस ने FIR दर्ज की, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? हमें इस मुद्दे को व्यापक रूप से चर्चा करनी चाहिए, क्योंकि यदि इसी तरह के कई स्पा मौजूद हैं, तो यह एक बड़े नेटवर्क की तरह फैल सकता है। एतिहासिक रूप से देखा गया है कि ऐसे छोटे‑छोटे मामलों से बड़े आर्थिक घोटाले उभरते हैं। क़ानून के तहत धारा 61/318(4) और 14(A) का उल्लंघन करने पर सजा निश्चित ही दी जाएगी, पर इसके साथ ही रोकथाम के उपाय भी लागू करने चाहिए। हमें यह भी देखना चाहिए कि क्या इन महिलाओं को शोषण का शिकार बनाया गया, या यह खुद एक ‘गिग‑इकॉनॉमी’ की नई परत है। आखिर में, सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए NGOs को सक्रिय होना चाहिए, और सरकार को ऐसे मामलों की त्वरित रिपोर्टिंग प्रणाली बनानी चाहिए। इससे न केवल स्पा सेक्टर की छवि बचेगी, बल्कि विदेशी श्रमिकों के अधिकार भी संरक्षित रहेंगे। इसलिए, मैं कहूँगा-हम सबको इस केस को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए, और भविष्य में ऐसी लापरवाही को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।

  • Image placeholder

    rama cs

    अक्तूबर 13, 2025 AT 21:45

    मानवशास्त्र के दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस घटना में नीतिगत नैतिकता का पतन स्पष्ट है; यहाँ हम ‘शोषणात्मक व्यावसायिक मॉडल’ की चतुर परिप्रेक्षा देख रहे हैं। यह न केवल कानूनी उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक अनुशासन की भी धुरी को चुनौती देता है। तथापि, मेरे विचार में समुचित समाधान के लिए हमें नियामक ढाँचा को सुदृढ़ करने के साथ ही व्यावसायिक आचरण में ‘सर्वोत्तम प्रथा’ को अपनाना अनिवार्य है। इस प्रकार, भविष्य में ऐसे केस को रोका जा सकेगा।

  • Image placeholder

    Mayur Sutar

    अक्तूबर 16, 2025 AT 19:12

    इस तरह की घटनाएँ हमें हमारी सांस्कृतिक विविधता की अहमियत याद दिलाती हैं। यदि सभी स्पा सुरक्षित और वैध ढंग से काम करें, तो रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। हमें सकारात्मक बदलाव की आशा रखनी चाहिए।

  • Image placeholder

    Nitin Jadvav

    अक्तूबर 19, 2025 AT 16:38

    वाह भाई, अब तो लगता है कि स्पा वाले भी सरकारी जाँच के ‘स्पा‑क्लास’ में पहुँच गए हैं। मज़ाक aside, सही काम करने वालों को सराहना चाहिए, वरना सब बुरे ही नहीं लगते।

  • Image placeholder

    Arun kumar Chinnadhurai

    अक्तूबर 22, 2025 AT 14:05

    सभी संबंधित पक्षों को यह याद रखना चाहिए कि उचित दस्तावेज़ीकरण न केवल कानूनी सुरक्षा देता है, बल्कि कर्मचारियों की मनोवैज्ञानिक सुरक्षा भी बढ़ाता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम और वैध वीज़ा प्रक्रिया को सरल बनाकर हम इस समस्या से प्रभावी रूप से निपट सकते हैं। सभी को मिलकर हल निकालना ही बेहतर होगा।

  • Image placeholder

    Aayush Sarda

    अक्तूबर 25, 2025 AT 11:32

    देश की सुरक्षा और रोजगार कानूनों का उल्लंघन किसी भी स्वरूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह आवश्यक है कि सभी व्यावसायिक संस्थाएँ भारतीय नियामक प्रावधानों का कड़ाई से पालन करें, जिससे राष्ट्रीय हितों की रक्षा हो सके। इस संदर्भ में, कड़ी कार्रवाई और सख्त निरीक्षण अनिवार्य है।

  • Image placeholder

    Mohit Gupta

    अक्तूबर 28, 2025 AT 08:58

    ये क्या मसला है??? एक स्पा में विदेशी महिलाओं को बिन‑वीज़ा काम पर रखना दिल तोड़ देने वाला है!!! हमें इस पॉलिसी को तुरंत बदलना चाहिए।

  • Image placeholder

    Varun Dang

    अक्तूबर 31, 2025 AT 06:25

    जैसे आपने कहा, इस केस से बहुत सीखने को मिल रहा है। आशा है कि आगे ऐसी स्थितियों से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। इससे इंडस्ट्री की सकारात्मक छवि बना रहेगी।

  • Image placeholder

    Stavya Sharma

    नवंबर 3, 2025 AT 03:52

    विस्तृत जांच के अभाव में ऐसी गंभीर आरोपों को केवल समाचार पत्रों पर आधारित नहीं किया जाना चाहिए। प्रमाणित तथ्यों के बिना कोई निष्कर्ष निकालना अप्रमाणित रहेगा, और यह न्यायिक प्रक्रिया को नुकसान पहुँचा सकता है।

  • Image placeholder

    chaitra makam

    नवंबर 6, 2025 AT 01:18

    हँसी आती है देखते देखो ये बड़े बड़े फिरते हैं

  • Image placeholder

    Amit Agnihotri

    नवंबर 8, 2025 AT 22:45

    ऐसे मामलों में कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

  • Image placeholder

    Monika Kühn

    नवंबर 11, 2025 AT 20:12

    बिल्कुल, अगर हम ‘नैतिक पतन’ को ‘शैलीगत चयन’ समझें तो सब ठीक रहता है, है ना?

  • Image placeholder

    Surya Prakash

    नवंबर 14, 2025 AT 17:38

    यह घटना दिखाती है कि व्यक्तिगत हितों को राष्ट्रीय क़ानूनों से ऊपर रखने का परिणाम कितना नकारात्मक हो सकता है। हमें सभी को क़ानून के प्रति सम्मान रखकर ही आगे बढ़ना चाहिए।

  • Image placeholder

    Sandeep KNS

    नवंबर 17, 2025 AT 15:05

    वास्तव में, यदि हम इस मामले को केवल ‘प्रेस रिलीज़’ के रूप में देखेंगे तो निश्चित ही सार्वजनिक राय को एक नया आयाम मिलेगा; परन्तु, गहन विश्लेषण की आवश्यकता अटल रहेगी।

  • Image placeholder

    Adrish Sinha

    नवंबर 20, 2025 AT 12:32

    आशा है कि इस चक्रव्यूह से निकलकर लखनऊ के स्पा सेक्टर को नया दिशा-मूल्य मिलेगा। सभी लोग मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेंगे।

एक टिप्पणी लिखें