केरल भूस्खलन: भारी बारिश से वायनाड में मची तबाही, सैकड़ों फंसे, एनडीआरएफ ने शुरू किया राहत अभियान

केरल भूस्खलन: भारी बारिश से वायनाड में मची तबाही, सैकड़ों फंसे, एनडीआरएफ ने शुरू किया राहत अभियान

केरल में भूस्खलन: वायनाड में मची तबाही

केरल के वायनाड जिले में भारी बारिश के चलते जुलाई 30, 2024 को एक भयानक भूस्खलन हुआ। मेप्पडी और उसके आसपास के क्षेत्र जैसे कि मुण्डकाई, चूरालमला, अट्टमाला, और नूलपुजा में बड़े पैमाने पर भूस्खलन से तबाही मची। इसमें कम से कम 106 लोगों की जान गई और सैकड़ों लोग मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। इस त्रासदी ने वहां के निवासियों को भारी स्थिति में डाल दिया है।

प्राकृतिक आपदा से त्रस्त गांव

क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश की वजह से यह संकट और गंभीर हो गया है। इस त्रासदी से प्रभावित इलाकों में सड़कों का संपर्क कट गया है और गाँव जलमग्न हो गए हैं। जलजमाव और लगातार हो रही बारिश के कारण राहत और बचाव कार्यों में बाधाएं आ रही हैं। कई गांव संकट में हैं, जिनमें मुण्डकाई, चूरालमला, अट्टमाला, और नूलपुजा शामिल हैं।

रेस्क्यू ऑपरेशंस

राहत और बचाव कार्य को एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीमों ने तुरंत शुरू कर दिया है। केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने फायरफोर्स और एनडीआरएफ की टीमों के साथ-साथ कन्नूर डिफेंस सिक्योरिटी कोर के अतिरिक्त दलों को भी इलाके में भेज दिया है। हालांकि भारी बारिश के चलते राहत कार्यों में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया

इस आपदा पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंताएँ प्रकट कीं और प्रत्येक मृतक के परिवार को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि घोषित की। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी आश्वासन दिया है कि सेना अस्थाई पुल बनाने और हेलिकॉप्टर से लोगों को निकालने के लिए मदद करेगी।

भारतीय सेना की मदद

केरल सरकार ने भारतीय सेना से मदद मांगी है और 122 इन्फैंट्री बटालियन (TA) MADRAS की टीम को बचाव कार्यों में मदद के लिए तैनात किया गया है। IMD (भारत मौसम विज्ञान विभाग) ने अगले 24 घंटों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।

आंकड़े और जानकारी

आंकड़े और जानकारी

स्थिति को बेहतर तरीके से संभालने के लिए सारे संसाधनों को इस्तेमाल किया जा रहा है। एनडीआरएफ टीमों के साथ-साथ फायरफोर्स और कन्नूर रक्षा सुरक्षा कोर की टीमों को भी भेजा गया है। इससे स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा सकती है लेकिन लगातार बारिश राहत कार्यों में बाधा डाल रही है।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने खुद नेतृत्व करते हुए राहत कार्यों का निरीक्षण किया और स्थानीय प्रशासन को सभी संभव मदद प्रदान करने का निर्देश दिया।

भविष्य की कार्रवाइयां

अभी भी सैकड़ों लोग मलबे के नीचे फंसे हुए हैं, जिनको निकालने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। सेना की मदद से एक अस्थाई पुल का निर्माण किया जाएगा जिससे बचाव कार्यों में तेजी लाई जा सके। हेलिकॉप्टर और अन्य आधुनिक उपकरणों का भी प्रयोग किया जा रहा है।

प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए केरल सरकार ने एक व्यापक कार्य योजना बनाई है, जिसमें जैसे ही स्थिति में सुधार होगा, पुनर्वास के कार्यों को भी शुरू किया जाएगा।

भारी बारिश और निरंतर हो रही भूस्खलन की घटनाओं ने केरल को एक बार फिर प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति से निकलने के लिए राज्य और केंद्र सरकार मिलकर सभी आवश्यक कदम उठा रही हैं।

8 Comments

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    Kunal Sharma

    जुलाई 31, 2024 AT 17:43

    ये भूस्खलन सिर्फ बारिश का नतीजा नहीं है, ये तो दशकों का निर्माण अनियोजित विकास, जंगलों की कटाई, और सरकारी नजरअंदाज़ी का नतीजा है। जब तक हम इमारतों को पहाड़ों पर बनाने की बजाय पहाड़ों को बचाने पर ध्यान नहीं देंगे, तब तक ये त्रासदियाँ दोहराएंगी। एनडीआरएफ की टीमें बहुत अच्छी काम कर रही हैं, लेकिन उनकी ताकत उनके बारे में नहीं, बल्कि उनके आसपास के सिस्टम की कमजोरी के बारे में है।

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    Raksha Kalwar

    अगस्त 2, 2024 AT 14:18

    इस आपदा में जीवन बचाने के लिए जिन लोगों ने अपनी जान जोखिम में डाली है, उनके लिए मैं गहरी श्रद्धांजलि देती हूँ। एनडीआरएफ, सेना, और स्थानीय अधिकारी-सभी ने अपनी निष्ठा दिखाई है। यह समय नहीं है कि हम भाग लें, बल्कि एकजुट होकर समर्थन करें। दान, रक्तदान, और जागरूकता-ये सब अभी जरूरी है।

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    himanshu shaw

    अगस्त 3, 2024 AT 08:58

    प्रधानमंत्री के 2 लाख रुपये का दावा बस एक फोटो ऑपरेशन है। ये धन कहाँ जाता है? क्या ये वास्तविक लोगों तक पहुँचता है? या ये सिर्फ चुनावी बयानबाजी है? और फिर एनडीआरएफ की टीमों को भेजना-ये सब तो रात के अंधेरे में लालटेन जलाने जैसा है। अगर सरकार ने 2018 के बाद से भूस्खलन रोकने के लिए एक भी नीति बनाई होती, तो आज ये आपदा नहीं होती।

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    Rashmi Primlani

    अगस्त 3, 2024 AT 23:38

    इस आपदा के बारे में जो भी जानकारी उपलब्ध है, उसका विश्लेषण करने पर एक बात स्पष्ट है-सामुदायिक तैयारी और विकास की योजनाओं में प्राकृतिक जोखिमों को शामिल करना अनिवार्य है। हमारे पास तकनीक है, हमारे पास विशेषज्ञ हैं, लेकिन हमारे पास नीति नहीं है। जब तक हम आपदा प्रबंधन को एक निरंतर प्रक्रिया के रूप में नहीं देखेंगे, तब तक ये घटनाएँ बार-बार दोहराएंगी। यह एक सामाजिक जिम्मेदारी है, न कि केवल सरकारी जिम्मेदारी।

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    harsh raj

    अगस्त 4, 2024 AT 04:45

    मैं अपने दोस्तों के साथ वायनाड से जुड़ा हूँ, और वहाँ की हालत बहुत बुरी है। लेकिन यहाँ एक अद्भुत बात है-लोग अपने घरों को छोड़कर दूसरों को अपने घरों में रख रहे हैं। ये जाति, धर्म, या सामाजिक स्थिति के बारे में नहीं है। ये मानवता के बारे में है। हमें इस आत्मा को बरकरार रखना होगा। जब तक हम इस तरह के लोगों को नहीं बनाएंगे, तब तक कोई भी आपदा हमें नहीं तोड़ सकती।

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    Prakash chandra Damor

    अगस्त 4, 2024 AT 11:32

    हेलिकॉप्टर लगातार उड़ रहे हैं लेकिन लोग अभी भी फंसे हैं और बारिश रुकी नहीं और सड़कें नहीं बन रहीं और एनडीआरएफ थक रहे हैं और बच्चे भूखे हैं और कोई नहीं बता रहा कि अगला कदम क्या है

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    Rohit verma

    अगस्त 4, 2024 AT 12:18

    हम सब एक साथ हैं। ये समय है डरने का नहीं, बल्कि एक साथ खड़े होने का। मैंने अपने दोस्तों के साथ राहत सामग्री इकट्ठी की है और अब ये वायनाड के लिए रवाना हो रहा है। आप भी अपनी छोटी-छोटी बातें करें-एक दान, एक शेयर, एक शुभकामना। ये सब जुड़कर एक भारी लहर बन जाता है। हम एक साथ इसे पार करेंगे।

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    Arya Murthi

    अगस्त 5, 2024 AT 08:26

    मैंने आज सुबह एक वीडियो देखा-एक बूढ़े आदमी ने अपनी बेटी को बचाने के लिए अपना शरीर भूस्खलन के रास्ते में रख दिया। वो खुद मर गया, लेकिन उसकी बेटी बच गई। ये दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है-मातृत्व। इस आपदा में जिन लोगों ने अपनी जान दी, वो नहीं मरे। वो अब हमारे दिलों में हैं।

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