घटना कैसे हुआ: रैली के दौरान भीड़भाड़ की स्थिति
शनिवार, 27 सितंबर को तमिलनाडु के करुर जिले में शाम 7:30 बजे वी.जी. (विजय) की वी.जी. रैली के दौरान घातक भीड़भाड़ लहुलहु हो गई। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, समर्थकों ने दोपहर से ही रैली स्थल पर इकट्ठा होना शुरू किया और रात तक यह भीड़ 12,000 की अनुमति के दायरे को बहुत पार कर चुकी थी। कई लोग निकटतम शहर नामक्कल से भी आए, जहाँ उसी दिन एक और रैली निर्धारित थी, इस कारण भीड़ नियंत्रण में ढिलाई आई।
जब विधायक वाहन से वी.जी. ने अपने अनुयायियों से बातें करना शुरू किया, तभी अचानक भीड़ के भीतर धक्का‑मुक्के की आवाज़ें सुनी गईं। कई लोग गिरने और बेहोश हो जाने लगे। वी.जी. ने बीच में ही भाषण रोक दिया और सुरक्षा कर्मियों को तुरंत मदद करने का आदेश दिया।
परिणाम, मुआवजा और आगे की कार्रवाई
रिपोर्टों के अनुसार, इस त्रासदी में कुल 40 लोगों की मौत हुई, जिनमें 17 महिलाएँ और 9 बच्चे शामिल हैं। दो सदस्यों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, पर एक दिन बाद उनका निधन हो गया, जिससे मृत्यु संख्या बढ़ी। 67 लोग अभी भी सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं, दो गंभीर स्थिति में हैं, बाकी रोगियों की स्थिति स्थिर बताई गई है।
प्रमुख राजनेता और अधिकारी त्वरित राहत के लिए कदम उठा रहे हैं। नीचे मुख्य मुआवज़ा विवरण दिया गया है:
- मरने वाले 40 लोगों के परिवारों को वी.जी. ने 20 लाख रूपए का मुआवजा दिया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत निधि (PMNRF) से प्रत्येक परिजन को 2 लाख रूपए की तरफ़ से एक्ज़-ग्रैसिया घोषित किया।
- जख्मी हुए 67 लोगों को 50,000 रूपए की सहायता दी जाएगी, जिससे उनका इलाज आसान हो सके।
इस बीच, टिवीके पार्टी ने मदरास हाई कोर्ट (मदुरै बेंच) में स्वतंत्र जांच के लिये याचिका दायर की। पार्टी के उप महासचिव निर्मल कुमार ने कहा कि इस त्रासदी का कारण सुरक्षा उपायों की लापरवाही है और न्यायालय से तुरंत कार्रवाई की मांग की। कोर्ट ने इस याचिका को अगले सोमवार दोपहर 2:15 बजे सुनने का आदेश दिया।
पुलिस ने कभी‑कभी छिड़े पत्थर के आरोपों को खंडित किया। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस (ADGP) डेविडसन देवासिरवतम ने स्पष्ट किया कि भीड़भाड़ मुख्य कारण थी, न कि किसी बाहरी उत्प्रेरक का। उन्होंने बताया कि रैली के लिये पहले से ही 12,000 लोगों की अनुमति ली गई थी और उसी अनुसार पुलिस बल तैनात किया गया था, पर भीड़ की अनपेक्षित वृद्धि ने नियंत्रण को कठिन बना दिया।
केंद्र सरकार का भी इसपर प्रतिक्रिया आया। केंद्रीय माना मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए और भविष्य में ऐसे हादसे न हों, इसके लिये कड़े नियम लागू करने चाहिए। डीएमके सांसद कानिमोशी ने करुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में घायल लोगों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी और आगे की मदद का आश्वासन दिया।
यह हादसा न केवल तमिलनाडु में, बल्कि पूरे भारत में बड़े मंचों पर सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाता है। भीड़भाड़ को नियंत्रित करने के लिये किन उपायों की जरूरत है, किस तरह के प्रोटोकॉल को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए, इन मुद्दों पर अब गंभीर बहस चल रही है।
Khaleel Ahmad
सितंबर 29, 2025 AT 05:59कोई सीख नहीं लेता
Liny Chandran Koonakkanpully
सितंबर 29, 2025 AT 07:45Anupam Sharma
सितंबर 30, 2025 AT 07:26Payal Singh
सितंबर 30, 2025 AT 19:57ये जिंदगियाँ हैं।
ये रोटी की चाहत हैं।
ये अपने घर की खुशबू हैं।
और अब वो सब गायब हो गए हैं... क्योंकि किसी ने भीड़ को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी नहीं ली।
ये बस एक रैली नहीं, एक अपराध है।
avinash jedia
अक्तूबर 1, 2025 AT 02:06Shruti Singh
अक्तूबर 1, 2025 AT 08:48Kunal Sharma
अक्तूबर 1, 2025 AT 09:20इसके तीन स्तर हैं: एक, राजनीतिक आकर्षण के लिए जनता का उपयोग।
दो, लापरवाही से उत्पन्न विकृति।
तीन, न्याय की अनुपस्थिति।
इसे बस एक 'भीड़भाड़' कह देना बहुत ही अत्यंत साधारण और अत्यंत असामाजिक दृष्टिकोण है।
Raksha Kalwar
अक्तूबर 2, 2025 AT 15:54एक्सिट पॉइंट्स, सिक्योरिटी बैरियर्स, एमर्जेंसी एक्शन प्लान।
ये नहीं कि भीड़ आ जाए तो भाग जाएं।
इसकी जिम्मेदारी सिर्फ पुलिस की नहीं, राजनेताओं की भी है।
अगर आप लोगों को इकट्ठा कर रहे हैं, तो उन्हें बचाने का वादा भी करें।
himanshu shaw
अक्तूबर 4, 2025 AT 06:2812,000 की अनुमति देकर 15,000 आने देना? ये कैसे संभव है?
क्या आपको लगता है कि पुलिस इतनी बेकार है?
ये सब एक तरह का सामाजिक नियंत्रण है।
मानव भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी को भेजना चाहिए।
कोई बाहरी शक्ति इसे नियंत्रित कर रही है।
ये नहीं कि कोई गलती हुई।
Rashmi Primlani
अक्तूबर 4, 2025 AT 21:57एक जो बच्चे को अपनी गोद में लिए हुए है।
एक जो बहुत दूर से आया है।
एक जो अपने बैग में भोजन ले आया है।
उन्हें बचाना जिम्मेदारी है।
न कि बस एक नाम लिख देना।
ये जीवन हैं।
न कि वोट।
ये भावनाएँ हैं।
न कि विजय।
harsh raj
अक्तूबर 5, 2025 AT 11:03अगर आपके पास इतने लोग हैं तो ऑनलाइन रैली करें।
या फिर दो-तीन छोटी रैलियाँ करें।
क्यों एक जगह पर इतना दबाव डालें?
ये नहीं कि आप जीत जाएंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।
लोग जीवित रहेंगे तो ही आप जीतेंगे।
Prakash chandra Damor
अक्तूबर 5, 2025 AT 19:17Rohit verma
अक्तूबर 7, 2025 AT 03:12क्या हम अपने शहर के लिए कुछ कर रहे हैं?
या फिर बस बातें कर रहे हैं?
आज ये हुआ... कल कहीं और होगा।
हमें बस एक बार खुद को देखना होगा।
हम भीड़ के भीतर हैं... लेकिन क्या हम भीड़ के बाहर भी हैं?
Arya Murthi
अक्तूबर 8, 2025 AT 21:45लेकिन अब जब ये हो गया...
तो मुझे लगता है कि अगली बार मैं रैली में नहीं जाऊँगा।
क्योंकि ये जिम्मेदारी अब मेरी है।
मैं अपनी जिम्मेदारी नहीं भूल सकता।
Manu Metan Lian
अक्तूबर 9, 2025 AT 00:51एक ऐसा समाज जहाँ अनुशासन का अभाव है।
एक ऐसा नेतृत्व जो अपनी लोकप्रियता के लिए जनता के प्राणों को बलि दे रहा है।
इसके लिए न्यायालय अपनी भूमिका निभाएगा।
लेकिन सवाल यह है कि क्या समाज अपनी भूमिका निभाएगा?
Debakanta Singha
अक्तूबर 10, 2025 AT 18:46लेकिन अगर आप वास्तव में चाहते हैं कि ऐसा न हो तो रैलियाँ बंद कर दो।
अगर लोग जमा हो रहे हैं तो उन्हें घर भेज दो।
कोई भी रैली इतनी बड़ी नहीं होती कि इतने लोगों की जान जाए।
कोई भी वादा इतना बड़ा नहीं होता।
swetha priyadarshni
अक्तूबर 12, 2025 AT 14:12उनमें से 31 में भीड़ के नियंत्रण के लिए अनुमति पत्र दिए गए थे, लेकिन उनका अनुपालन नहीं हुआ।
29 में निकासी मार्ग नहीं थे।
25 में आपातकालीन टीम नहीं थी।
और इनमें से 35 में राजनीतिक दल ने जिम्मेदारी से बचने के लिए अपनी तरफ से न्यायालय में याचिका दायर की।
यह एक निरंतर पैटर्न है।
यह एक बार फिर नहीं, बल्कि बार-बार हो रहा है।
हम नहीं सीख रहे हैं।
हम बस बच रहे हैं।
tejas cj
अक्तूबर 14, 2025 AT 13:49भीड़भाड़ के बाद लोगों का दिल जीतना।
अब तो ये रैली का नया फॉर्मूला है।
जितनी भीड़ उतना जीत।
मरने वालों की संख्या बढ़ा दो, लोग और ज्यादा भावुक हो जाएंगे।
काम तो आसान है।
Chandrasekhar Babu
अक्तूबर 14, 2025 AT 17:52CDI = (लोगों की संख्या / उपलब्ध स्थान) × (सुरक्षा बलों की उपलब्धता) × (नियंत्रण प्रोटोकॉल की कार्यक्षमता)
इस घटना का CDI 4.7 था - जो अत्यधिक असुरक्षित स्तर है।
अगर CDI > 3.5 हो तो रैली रद्द कर देनी चाहिए।
इसका कोई अधिकारी नहीं जानता।
Pooja Mishra
अक्तूबर 15, 2025 AT 17:19क्या वो वी.जी. के लिए मर रहे हैं?
या क्या वो आपके चुप रहने के लिए मर रहे हैं?
आप इसे देख रहे हैं।
आप इसे सुन रहे हैं।
लेकिन आप कुछ नहीं कर रहे हैं।
और यही वो चीज है जो सच में खतरनाक है।