गांधीनगर के एक लोकप्रिय गैरेबा पंडाल में नवर्ति के दौरान आयोजित कार्यक्रम में अचानक उग्रता छा गई। पंडाल की दीवारों पर लटके "I Love Mahadev" पोस्टर ने कुछ स्थानीय युवाओं को आहत किया, जिससे वे बहुतेज़ गुस्से में आकर पंडाल की ओर पत्थर फेंकने लगे।
घटना की पृष्ठभूमि और तत्काल प्रतिक्रिया
रात के लगभग ९ बजे, जब दर्शक अपने-अपने जोड़ों में नाच रहे थे, तभी कुछ व्यक्तियों ने पंडाल के बाहर जमा हो कर पहाड़े उठाए। अनुमान है कि ३०‑४० लोग इस कार्रवाई में शामिल थे। पत्थरबारी के दौरान दो प्रमुख उपस्थित लोग घायल हुए, जिनमें से एक को गंभीर चोटें आईं और उसे तुरंत अस्पताल पहुँचाया गया।
तुरंत बाद पुलिस ने स्थल पर पहुंचकर घातक भीड़ को बिखेर दिया और ५ व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। आगे जांच में पता चला कि कई अर्जितकर्ता सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्टर को लेकर नाराज थे, जिससे उन्होंने इस बर्बरतम कार्य को अंजाम दिया।

सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
गैरेबा पंडाल पर यह घटना गुजरात के कई शहरों में फिर से धार्मिक ध्वनि को लेकर हलचल पैदा कर रही है। स्थानीय राजनेता और सामाजिक संगठनों ने समानता की पुकार की, यह कहते हुए कि धर्म और संस्कृति का सम्मान तो सभी को करना चाहिए। वहीं कुछ समूहों ने इस मुद्दे को राजनीति के खेल के रूप में प्रस्तुत किया, यह दावा करते हुए कि यह क़दम स्थानीय तनाव को बढ़ाने के लिए किया गया था।
इस घटना पर गुजरात पुलिस ने बताया कि उन्होंने सभी संदिग्धों के मोबाइल डेटा को ट्रेस कर लिया है और सोशल मीडिया पर फैले नफरतपूर्ण पोस्टर को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि आगे भी इस प्रकार की सुस्ती न हो, इसके लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएँ अक्सर सामाजिक मीडिया की तेज़ गति और गलत सूचना के कारण उभरती हैं। उन्होंने विनाशकारी परिणामों से बचने के लिए सामुदायिक संवाद और संवेदनशीलता जागरूकता अभियान की आवश्यकता पर बल दिया।