चक्रवात मोंथा का झारखंड पर असर: 28-31 अक्टूबर तक भारी बारिश और तेज हवाएं

चक्रवात मोंथा का झारखंड पर असर: 28-31 अक्टूबर तक भारी बारिश और तेज हवाएं

चक्रवाती तूफान मोंथा अब सिर्फ समुद्र की लहरों का खेल नहीं, बल्कि झारखंड के करोड़ों लोगों की जिंदगी को बदलने वाला एक बड़ा मौसमी आपदा बन गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2025 तक राज्य भर में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है — और ये अलर्ट बस एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक असली जीवन-संकट का संकेत है। जहां छठ पूजा के लिए लोग तैयारी कर रहे हैं, वहीं आकाश में बादल इकट्ठे हो रहे हैं। रांची स्थित मौसम केंद्र के वरीय मौसम पूर्वानुमान वैज्ञानिक सतीश चंद्र मंडल के अनुसार, यह तूफान 25 अक्टूबर से ही झारखंड के मौसम पर असर डाल रहा है। अभी तक सिर्फ सिमडेगा में 0.5 मिमी बारिश हुई है, लेकिन अगले चार दिन बारिश का दौर शुरू हो रहा है — और ये बारिश आम नहीं, बल्कि बाढ़ ला सकती है।

चक्रवात मोंथा का विकास: एक तेज़ और खतरनाक यात्रा

यह तूफान जिसे थाईलैंड ने "सुगंधित फल" का नाम दिया है, असल में एक खतरनाक बन चुका है। 25 अक्टूबर को यह बंगाल की खाड़ी में सिर्फ एक निम्न दबाव क्षेत्र था। अगले 48 घंटों में यह डीप डिप्रेशन बना, फिर 27 अक्टूबर की सुबह चक्रवाती तूफान। और 28 अक्टूबर की सुबह तक, यह गंभीर चक्रवाती तूफान में बदलने की पूरी संभावना है। उसकी रफ्तार 90-100 किमी/घंटा होगी, और कुछ जगहों पर यह 110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है। ये रफ्तार न सिर्फ घरों को उखाड़ सकती है, बल्कि बिजली के खंभों को भी तोड़ देगी।

किस जगह को कितना खतरा?

चक्रवात का सीधा झटका आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा के तट पर पड़ेगा, लेकिन इसका असर 12 राज्यों तक फैलेगा। ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और तमिलनाडु — सभी इसकी राह में आ गए हैं। झारखंड के लिए खास खतरा यह है कि यह तूफान उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है, जिसका मतलब है कि राज्य के दक्षिणी और पूर्वी जिले — जैसे धनबाद, गिरिडीह, देहरी, रांची और बोकारो — इसके सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। यहां 28 अक्टूबर को बारिश शुरू होगी, लेकिन 29, 30 और 31 अक्टूबर को ये भारी बारिश में बदल जाएगी। कुछ जगहों पर 100 मिमी से ज्यादा बारिश हो सकती है — यानी एक दिन में पूरा महीना की बारिश।

छठ पूजा पर पड़ने वाला झटका

यहां बात और भी गंभीर है — ये तूफान छठ पूजा के अंतिम दिन, 31 अक्टूबर 2025, तक लगा रहेगा। लाखों छठव्रती नदियों के किनारे घूंट लगाने जा रहे हैं। लेकिन अगर नदियां बाढ़ में हैं, तो क्या वे सुरक्षित रह पाएंगे? रांची स्थित मौसम केंद्र ने तो येलो अलर्ट जारी किया है, लेकिन क्या जिला प्रशासन तैयार है? बहुत से गांवों में अभी तक बाढ़ के लिए आपातकालीन योजना नहीं बनाई गई। ये तूफान सिर्फ बारिश नहीं, बल्कि धार्मिक अनुष्ठानों को भी बाधित कर रहा है।

किसानों और मछुआरों की त्रासदी

किसानों और मछुआरों की त्रासदी

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की सलाह दी है। लेकिन अगर वे नहीं जाएंगे, तो क्या खाएंगे? उत्तर बंगाल और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में लाखों मछुआरे इस तूफान के बाद अपनी नौकरी खो सकते हैं। झारखंड के किसानों के लिए तो यह बर्बरता है। जो फसलें अभी खड़ी हैं — जौ, चना, और अरहर — वे इस भारी बारिश से बर्बाद हो सकती हैं। एक किसान ने रांची में कहा, "हमने साल भर मेहनत की, अब बारिश ने हमारा सब कुछ बहा दिया।" और ये बात सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि राज्य के 70% किसानों की है।

हवाएं, बिजली और बाढ़: तीन खतरे एक साथ

बारिश से ज्यादा खतरनाक है तेज हवाएं। रांची स्थित मौसम केंद्र ने 28 अक्टूबर से 1 नवंबर तक 30-40 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाओं का अलर्ट जारी किया है। ये हवाएं न सिर्फ छतों को उड़ा सकती हैं, बल्कि बिजली के तारों को फाड़ देंगी। मेघगर्जन और वज्रपात का खतरा भी बढ़ गया है। इस वजह से बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए घरों में रहना ही सुरक्षित होगा। अगर बिजली चली जाए, तो दवाइयां, पंखे, पानी के पंप — सब बंद हो जाएंगे। ये सिर्फ मौसमी बदलाव नहीं, बल्कि एक आपदा का शुरुआती चरण है।

अगले कदम: क्या होगा अगले 72 घंटे में?

अगले कदम: क्या होगा अगले 72 घंटे में?

अगले 72 घंटे तय कर देंगे कि ये तूफान कितना बड़ा बनेगा। अगर यह 28 अक्टूबर की शाम को गंभीर चक्रवात बन गया, तो 30 अक्टूबर तक झारखंड में बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। अगर यह अचानक कमजोर हो गया, तो बारिश कम हो सकती है। लेकिन इस तरह के अनुमानों पर जीवन नहीं जिया जा सकता। राज्य सरकार को तुरंत आपातकालीन टीम तैनात करनी होगी। अस्पतालों, बच्चों के आश्रयों, और गांवों में खाने का सामान तैयार करना होगा। जिला प्रशासन ने अभी तक कोई जन जागरूकता अभियान नहीं शुरू किया। ये लापरवाही बहुत महंगी पड़ सकती है।

इतिहास क्या बताता है?

2020 में चक्रवात अम्फान ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल को तबाह कर दिया था — 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 2023 में चक्रवात बास्कर ने आंध्र प्रदेश के कई जिलों में 1.2 लाख घरों को नुकसान पहुंचाया था। अब मोंथा उसी तरह का खतरा लेकर आ रहा है। लेकिन इस बार झारखंड और बिहार जैसे राज्य जो पहले इस तरह के तूफानों से बच गए थे, अब सीधे इसके रास्ते में आ गए हैं। ये नया रुझान है — चक्रवात अब सिर्फ तटीय राज्यों तक सीमित नहीं, बल्कि आंतरिक राज्यों तक पहुंच रहे हैं। क्या ये जलवायु परिवर्तन का सीधा नतीजा है? वैज्ञानिक इसकी पुष्टि कर रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

चक्रवात मोंथा का झारखंड पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2025 तक झारखंड के अधिकांश जिलों में भारी बारिश होने की संभावना है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ जाएगा। साथ ही 30-40 किमी/घंटा की तेज हवाएं चलेंगी, जिससे बिजली के खंभे, छतें और बाजारों की झोपड़ियां नुकसान पहुंच सकती हैं। रांची, धनबाद, गिरिडीह और बोकारो सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

छठ पूजा के दौरान बारिश का क्या असर होगा?

31 अक्टूबर को छठ पूजा के अंतिम दिन बारिश होने की संभावना है, जिससे लाखों छठव्रती नदियों के किनारे जाने में दिक्कत का सामना करेंगे। अगर नदियां बाढ़ में हैं, तो घूंट लगाने का अनुष्ठान बाधित हो सकता है। कई गांवों में तो लोग घरों में ही पूजा करने की योजना बना रहे हैं। धार्मिक संगठनों को अब त्वरित निर्देश जारी करने की जरूरत है।

किसानों को क्या करना चाहिए?

किसानों को अपनी फसलों को ढकने के लिए प्लास्टिक शीट या झोपड़ियों का उपयोग करना चाहिए। जिन फसलों को उखाड़ा जा सकता है, उन्हें जल्द से जल्द बेच देना चाहिए। खेतों के आसपास नालियों को साफ रखें ताकि पानी जमा न हो। राज्य सरकार के विभागों से आपातकालीन सहायता के लिए संपर्क करें — कई जिलों में बीज और उर्वरक की आपूर्ति की जा रही है।

मौसम विभाग ने क्या चेतावनी जारी की है?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आंध्र प्रदेश, ओडिशा और झारखंड के तटीय और आंतरिक जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। इसमें भारी बारिश, तेज हवाएं, मेघगर्जन और वज्रपात की चेतावनी शामिल है। मछुआरों को समुद्र से दूर रहने और घरों में रहने की सलाह दी गई है। जनता को अपने घरों में आपातकालीन सामान — दवाइयां, पानी, बैटरी, रेडियो — तैयार रखने को कहा गया है।

इस तूफान का असर कब तक रहेगा?

चक्रवात का सीधा प्रभाव 30 अक्टूबर तक रहेगा, लेकिन बारिश और नमी का असर 1 नवंबर तक रह सकता है। बाढ़ के पानी को बहाने में कम से कम 5-7 दिन लग सकते हैं। इस दौरान रोगों का खतरा बढ़ेगा — डेंगू, पेचिश और टायफाइड। राज्य स्वास्थ्य विभाग को अभी से अस्पतालों में दवाइयां और टीमें तैयार करनी होंगी।

क्या यह चक्रवात जलवायु परिवर्तन का परिणाम है?

हां, वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी के पानी का तापमान पिछले 20 वर्षों में 1.5°C बढ़ गया है, जिससे चक्रवात अधिक तीव्र और अधिक दूर तक बढ़ रहे हैं। मोंथा जैसा तूफान जो पहले तटीय राज्यों तक सीमित था, अब आंतरिक राज्यों तक पहुंच रहा है। ये जलवायु परिवर्तन का एक स्पष्ट संकेत है — और यह सिर्फ शुरुआत है।

13 Comments

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    Rashmi Primlani

    अक्तूबर 29, 2025 AT 09:15

    यह तूफान सिर्फ मौसम का मुद्दा नहीं बल्कि हमारी नीतियों की असफलता का परिणाम है
    हमने जलवायु अनुकूलन के लिए कोई लंबी अवधि की योजना नहीं बनाई
    गांवों में बाढ़ के लिए आपातकालीन योजनाएं नहीं हैं
    अस्पतालों में आपातकालीन बिजली की व्यवस्था नहीं है
    बच्चों के आश्रयों में दवाइयां नहीं हैं
    यह एक तकनीकी विफलता नहीं बल्कि नैतिक विफलता है
    हम बारिश के बारे में चेतावनी देते हैं लेकिन तैयारी नहीं करते
    हम आंकड़े देखते हैं लेकिन इंसानों को नहीं देखते
    छठ के अनुष्ठान को बाधित करना दुखद है लेकिन जीवन बचाना जरूरी है
    हमारी सभ्यता की परीक्षा यहीं पर हो रही है
    हम तूफान को नहीं रोक सकते लेकिन उसके प्रभाव को कम कर सकते हैं
    अगर हम आज नहीं सीखे तो कल कोई और तूफान आएगा
    और फिर हम फिर से यही गलती करेंगे

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    Debakanta Singha

    अक्तूबर 29, 2025 AT 17:42

    किसानों को बीज और उर्वरक देने की बात हो रही है लेकिन उनके पास अभी तक बारिश के बाद के लिए बीज नहीं हैं
    राज्य सरकार ने जो आपातकालीन योजना बनाई है वो दस साल पुरानी है
    हमारे गांव में तो बाढ़ के लिए कोई उच्च जगह नहीं है
    हम लोग अपनी फसलों को ढकने के लिए प्लास्टिक शीट लगाए हैं
    लेकिन अगर हवाएं 100 किमी/घंटा हो गई तो ये काम नहीं आएगा
    हमें तुरंत अस्पतालों में ड्रॉपिंग और इंजेक्शन की व्यवस्था करनी होगी
    ये तूफान बस बारिश नहीं है ये एक जीवन-मरण का सवाल है

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    Rohit verma

    अक्तूबर 30, 2025 AT 22:31

    हम सब एक साथ खड़े हो सकते हैं
    अगर कोई घर में बिजली नहीं है तो हम उसके लिए बैटरी ले जाएं
    अगर कोई नदी के किनारे जा रहा है तो हम उसे रोकें
    अगर कोई किसान बीज नहीं खरीद पा रहा तो हम उसे दें
    ये तूफान हमें अलग करने के लिए नहीं बल्कि एक साथ आने के लिए है
    एक दिन के लिए अपनी आदतें छोड़ दो
    अपने पड़ोसी की मदद करो
    ये तूफान हमारी इंसानियत की परीक्षा है
    हम इसे उतार सकते हैं अगर हम एक साथ हों

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    tejas cj

    अक्तूबर 31, 2025 AT 01:20

    ये सब बकवास है
    चक्रवात तो हमेशा आता है
    तुम लोग बस डरा रहे हो
    अपनी बातें बंद करो और घर में बैठ जाओ
    किसान तो हमेशा फसल खोते हैं
    छठ तो घर में भी कर सकते हो
    अगर बारिश हुई तो बारिश हुई
    क्या तुम्हारी जिंदगी इतनी कमजोर है कि बारिश से डर जाती है?

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    harsh raj

    अक्तूबर 31, 2025 AT 23:23

    मैंने रांची में एक छोटे से गांव में एक अस्पताल देखा जहां बिजली का बैकअप नहीं है
    मैंने एक बूढ़े आदमी को देखा जो अपने बेटे के लिए दवाई लेकर बारिश में चल रहा था
    हमारे पास तकनीक है लेकिन इरादा नहीं
    हमारे पास पैसा है लेकिन दिल नहीं
    हम चक्रवात के बारे में लिखते हैं लेकिन जीवन बचाने के लिए कुछ नहीं करते
    हम आंकड़े देखते हैं लेकिन आंखें बंद कर लेते हैं
    हम चेतावनी देते हैं लेकिन कोई नहीं सुनता
    ये तूफान हमारे लिए एक चेतावनी है
    अगर हम आज नहीं बदले तो कल कोई और आएगा
    और फिर हमारे बच्चे कहेंगे कि तुमने क्या किया?

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    Manu Metan Lian

    नवंबर 1, 2025 AT 00:49

    इस तरह के अलर्ट जारी करने से पहले आपको ये जानना चाहिए कि आपके जिले में कितने लोग बारिश के बाद बीमार पड़ते हैं
    आपको ये जानना चाहिए कि कितने घरों में पानी की आपूर्ति नहीं है
    आपको ये जानना चाहिए कि कितने अस्पतालों में ऑक्सीजन की व्यवस्था है
    लेकिन आप नहीं जानते
    आप बस अलर्ट जारी कर देते हैं
    और फिर उम्मीद करते हैं कि कोई बच जाएगा
    यह जिम्मेदारी नहीं बल्कि नकली दावा है
    आप लोगों को ये समझना चाहिए कि आपका नाम अलर्ट नहीं बल्कि जिम्मेदारी है

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    swetha priyadarshni

    नवंबर 1, 2025 AT 12:42

    मैंने गिरिडीह में एक छोटे से गांव में एक बूढ़ी महिला से बात की जो अपने बेटे के लिए बीज लेकर आ रही थी
    उसने कहा कि उसके पास पानी नहीं है बल्कि बारिश का इंतजार है
    उसने कहा कि उसके घर में बिजली नहीं है लेकिन उसके बेटे की दवाई है
    उसने कहा कि उसके गांव में कोई अस्पताल नहीं है लेकिन वह बच्चों के लिए दवाई लेकर चलती है
    उसने कहा कि उसके गांव में कोई नदी नहीं है लेकिन वह छठ के लिए घर में ही पूजा करेगी
    उसने कहा कि वह डरती नहीं है बल्कि उम्मीद करती है
    उसने कहा कि वह जानती है कि तूफान आएगा लेकिन वह जानती है कि वह जीवित रहेगी
    उसने कहा कि वह जानती है कि वह अकेली नहीं है
    उसने कहा कि वह जानती है कि वह एक इंसान है
    उसने कहा कि वह जानती है कि वह एक भारतीय है
    उसने कहा कि वह जानती है कि वह एक मां है
    उसने कहा कि वह जानती है कि वह एक लड़ाई लड़ रही है
    उसने कहा कि वह जानती है कि वह जीवित रहेगी
    और उसने कहा कि वह जानती है कि हम सब एक साथ हैं

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    Arya Murthi

    नवंबर 2, 2025 AT 10:18

    मैंने अपने दोस्त को देखा जो अपनी फसल को ढकने के लिए प्लास्टिक शीट लगा रहा था
    उसने कहा कि ये बारिश उसके लिए बस एक बारिश नहीं है
    ये उसकी जिंदगी का हिस्सा है
    उसने कहा कि वह नहीं जानता कि क्या होगा
    लेकिन वह जानता है कि वह लड़ेगा
    उसने कहा कि वह अपने बच्चों के लिए लड़ेगा
    उसने कहा कि वह अपने गांव के लिए लड़ेगा
    उसने कहा कि वह अपने देश के लिए लड़ेगा
    उसने कहा कि वह अपने आप के लिए लड़ेगा
    और वह लड़ रहा है
    और वह जीवित है
    और वह उम्मीद कर रहा है
    और वह जानता है कि वह अकेला नहीं है

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    himanshu shaw

    नवंबर 3, 2025 AT 03:18

    IMD के अलर्ट के बाद भी राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया
    यह एक अपराध है
    यह एक अपराध है कि हम बारिश के बारे में चेतावनी देते हैं लेकिन तैयारी नहीं करते
    यह एक अपराध है कि हम आंकड़े देखते हैं लेकिन इंसानों को नहीं देखते
    यह एक अपराध है कि हम छठ के अनुष्ठान को बाधित करते हैं
    यह एक अपराध है कि हम बच्चों को बारिश में भेजते हैं
    यह एक अपराध है कि हम बूढ़ों को अस्पताल में छोड़ देते हैं
    यह एक अपराध है कि हम गरीबों को भूल जाते हैं
    यह एक अपराध है कि हम तूफान के बाद भी बेकार की बातें करते हैं
    यह एक अपराध है कि हम जीवन की कीमत को नहीं जानते
    यह एक अपराध है कि हम इंसानियत को नहीं जानते

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    Pooja Mishra

    नवंबर 4, 2025 AT 02:07

    ये तूफान आपके लिए एक सबक है
    आपने अपने गांव में बारिश के लिए तैयारी नहीं की
    आपने अपने बच्चों को बारिश में भेजा
    आपने अपने बूढ़ों को अस्पताल में छोड़ दिया
    आपने अपने किसानों को बीज नहीं दिया
    आपने अपने गांव को बचाने के लिए कुछ नहीं किया
    अब आप बारिश के बारे में चेतावनी देते हैं
    लेकिन आप जानते हैं कि आपकी बातें बेकार हैं
    आप जानते हैं कि आप अकेले हैं
    आप जानते हैं कि आप गलत हैं
    और आप जानते हैं कि आपकी जिंदगी बर्बाद हो रही है
    लेकिन आप बदलने के लिए तैयार नहीं हैं
    आप बस इंतजार कर रहे हैं कि कोई आए और आपको बचा ले
    लेकिन कोई नहीं आएगा
    क्योंकि आप नहीं बदले हैं

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    Prakash chandra Damor

    नवंबर 5, 2025 AT 16:18

    मोंथा क्या है
    ये चक्रवात क्या है
    क्या ये बारिश है
    क्या ये हवाएं हैं
    क्या ये बाढ़ है
    क्या ये बिजली का नुकसान है
    क्या ये छठ का नुकसान है
    क्या ये किसानों का नुकसान है
    क्या ये जलवायु परिवर्तन है
    क्या ये राज्य सरकार की लापरवाही है
    क्या ये हमारी नीतियों की असफलता है
    क्या ये हमारी इंसानियत की कमी है
    क्या ये हमारी जिम्मेदारी है
    क्या ये हमारी जिंदगी है

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    Chandrasekhar Babu

    नवंबर 6, 2025 AT 01:43

    चक्रवाती तूफान के विकास के लिए बंगाल की खाड़ी के समुद्री जल तापमान में 1.5°C की वृद्धि एक जलवायु-संकेतक है जो उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता और आंतरिक क्षेत्रों में विस्तार को दर्शाता है
    IMD के येलो अलर्ट के तहत वर्षा की अपेक्षित मात्रा 100mm+ जो वार्षिक औसत के 300% से अधिक है
    इसके अलावा 90-110 km/h की वायु गति एक गंभीर चक्रवाती तूफान के लक्षण हैं जो अप्रत्याशित भूस्खलन और बाढ़ के जोखिम को बढ़ाती है
    छठ पूजा के अनुष्ठान के लिए नदियों के किनारे जाने की पारंपरिक प्रथा जलवायु अनुकूलन रणनीतियों के साथ असंगत है
    किसानों के लिए बीज और उर्वरक की आपूर्ति एक आपातकालीन अर्थव्यवस्था का हिस्सा है जिसे तुरंत लागू किया जाना चाहिए
    स्वास्थ्य विभाग को डेंगू और टायफाइड के लिए ड्रग स्टॉक और टीम तैनात करनी चाहिए जो बाढ़ के बाद 5-7 दिनों में उभरने की संभावना है
    यह एक जलवायु अनुकूलन अभियान है जिसे वैज्ञानिक आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए
    यह एक जनता की जागरूकता अभियान है जिसे तुरंत शुरू किया जाना चाहिए
    यह एक राष्ट्रीय आपातकाल है जिसे तुरंत घोषित किया जाना चाहिए

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    harsh raj

    नवंबर 6, 2025 AT 09:31

    मैंने अपने बेटे को एक छोटे से गांव में देखा जहां बारिश हो रही थी
    उसने कहा कि वह डर रहा है
    मैंने उसे गले लगाया
    और मैंने कहा कि हम एक साथ हैं
    और हम लड़ेंगे
    और हम जीवित रहेंगे
    और हम एक दूसरे के लिए हैं
    और हम एक दूसरे को बचाएंगे
    और हम एक दूसरे को याद रखेंगे
    और हम एक दूसरे को प्यार करेंगे
    और हम एक दूसरे के लिए जीवित रहेंगे
    और हम एक दूसरे के लिए जीवित रहेंगे
    और हम एक दूसरे के लिए जीवित रहेंगे

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