बदलापुर मामला: नकली मुठभेड़ की जांच के लिए HC में याचिका

बदलापुर मामला: नकली मुठभेड़ की जांच के लिए HC में याचिका

बदलापुर मामला: अक्षय शिंदे की मौत की जांच के लिए हाई कोर्ट में याचिका

बदलापुर यौन शोषण केस के आरोपी अक्षय शिंदे के पिता, अन्ना शिंदे ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने अपने बेटे की मौत की विशेष जांच की मांग की है। उनके अनुसार यह एक 'नकली मुठभेड़' थी। शिंदे, 24, एक स्कूल में संविदा सफाईकर्मी थे, जिन पर दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण का आरोप था। उन्हें 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था और सोमवार की शाम को तलोजा जेल से बदलापुर ले जाया जा रहा था, जब यह घटना घटी।

पुलिस के अनुसार, शिंदे ने कथित रूप से पुलिस एस्कॉर्ट टीम के एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन ली और गोली चलाई, जिससे सहायक निरीक्षक घायल हो गए। इसके बाद एक अन्य पुलिसकर्मी ने शिंदे पर गोली चलाई, जिससे उसकी मौत हो गई। हालाँकि, शिंदे के परिवार और विपक्षी नेताओं ने इस कहानी पर सवाल उठाए हैं कि एक हथकड़ी लगे आरोपी ने कैसे बंदूक छीन ली और पुलिसकर्मियों पर गोली चलाई।

अपराध में संलिप्तता: परिवार का दावा

अन्ना शिंदे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी है और उन्होंने विशेष जांच टीम (SIT) से इस घटना की जांच कराने की मांग की है। परिवार के वकील, अधिवक्ता कतरनावरे ने कहा, 'यह एक ठंडे खून से की गई हत्या है जिसे कानून के पहरेदारों ने अंजाम दिया है।' उन्होंने स्पष्ट रूप से नकली मुठभेड़ बताया।

विपक्षी दल, जिसमें कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण और शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत शामिल हैं, ने सरकार की आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह 'मुठभेड़' स्कूल प्रबंधन को बचाने के लिए रची गई थी, जो उनके अनुसार सत्तारूढ़ दल से जुड़ा है। उन्होंने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है।

विवाद और असंतोष: सरकार का रुख

महाराष्ट्र क्राइम इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) ने घोषणा की है कि वे इस मामले की जांच करेंगे, क्योंकि यह पुलिस हिरासत में हुई मौत से संबंधित है। इस मामले ने बड़े पैमाने पर विवाद को जन्म दिया है, जहां कई लोग शिंदे की मौत के परिस्थितियों और सरकार द्वारा इसके प्रबंधन पर सवाल उठा रहे हैं।

जनता की प्रतिक्रिया

शिंदे की हत्या की चर्चा बड़े पैमाने पर हो रही है। लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और जनता के अलग-अलग मंचों पर खुलकर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। स्थानीय नागरिकों ने इस घटना को बेहद निंदनीय बताया है और पुलिस की इस कार्रवाई पर संदेह जताया है। कई सामाजिक संगठन भी उनके समर्थन में खड़े हो गए हैं और इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

कुछ नेताओं का मानना है कि इस मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। विपक्षी दलों ने भी मामले को उठाकर न्याय की मांग की है। इससे साफ हो गया है कि यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि राजनैतिक दबाव का भी शिकार है।

इतिहास की गूंज: पूर्व घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब पुलिस द्वारा की गई मुठभेड़ पर सवाल उठाए गए हैं। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां पुलिस की कार्यशैली पर आशंका जताी गई है। मानवाधिकार संगठनों ने भी समय-समय पर ऐसे कई मामलों में न्याय की मांग की है।

अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या केवल एक विशेष जांच दल (SIT) ही इस मामले की निष्पक्ष जांच कर सकता है या फिर न्यायिक जांच ही सच्चाई सामने ला सकती है। अन्ना शिंदे के इस कदम से शासन और प्रशासन के बीच खींचतान की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

अंतिम विचार

अक्षय शिंदे की मृत्यु ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे समाज को झकझोर के रख दिया है। बहस और विचार-विमर्श के बावजूद, यह सच अब भी छिपा हुआ है कि क्या वास्तव में यह मुठभेड़ जायज थी या फिर किसी साजिश का हिस्सा।

इस घटना ने आम नागरिकों के मन में पुलिस व्यवस्था के प्रति एक बार फिर से अविश्वास पैदा कर दिया है। अब देखना ये होगा कि न्यायालय और जाँच एजेंसियाँ इस मामले में क्या निर्णय लेंगी और क्या अक्षय शिंदे को न्याय मिलेगा या नहीं।

15 Comments

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    Prakash chandra Damor

    सितंबर 25, 2024 AT 13:55
    ये मुठभेड़ असली नहीं लग रही क्योंकि हथकड़ी लगी हुई आरोपी बंदूक कैसे छीन लेगा?
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    harsh raj

    सितंबर 26, 2024 AT 13:32
    इस तरह के मामलों में सिर्फ पुलिस की बात मान लेना गलत है। जब तक स्वतंत्र SIT नहीं लगेगा, तब तक सच छिपा रहेगा। ये बात सब जानते हैं लेकिन कोई बोलता नहीं।

    मैंने 2018 में राजस्थान में एक ऐसा ही मामला देखा था, जहां पुलिस ने भी 'मुठभेड़' का बहाना बनाया था। बाद में CCTV और फोन के रिकॉर्ड से पता चला कि वो लोग बेकसूर थे। इस बार भी ऐसा ही होगा।
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    Rohit verma

    सितंबर 27, 2024 AT 18:33
    हम सब चाहते हैं कि न्याय हो। लेकिन इस बार ये बस एक मामला नहीं, ये सारे अपराधों का निशान है। बस थोड़ा सा धैर्य रखें, जांच होगी और सच सामने आएगा। 😊
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    Arya Murthi

    सितंबर 28, 2024 AT 12:49
    मैंने बदलापुर के एक रहने वाले से बात की थी। उसने कहा कि पुलिस वाले उस रास्ते पर हर रोज घूमते हैं, लेकिन जब शिंदे को ले जा रहे थे तो वो अचानक वहां थे। बहुत अजीब बात है।
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    Manu Metan Lian

    सितंबर 28, 2024 AT 21:57
    यहाँ कोई भी न्याय की बात कर रहा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये आरोपी एक नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शोषण का आरोपी है? इसकी जांच तो करें, लेकिन उसकी मौत का ये बहाना नहीं बनाया जा सकता।
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    Debakanta Singha

    सितंबर 30, 2024 AT 04:36
    अगर ये मुठभेड़ नकली है तो जांच करवाना ही बेहतर है। नहीं तो अगले दिन कोई और आम आदमी गायब हो जाएगा। ये बस एक बच्चे की मौत नहीं, ये समाज की आत्मा की मौत है।
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    swetha priyadarshni

    अक्तूबर 1, 2024 AT 23:02
    मैंने इस मामले को बहुत गहराई से पढ़ा है। विपक्षी नेताओं के बयानों के साथ-साथ पुलिस की रिपोर्ट को भी तुलनात्मक रूप से विश्लेषित किया है। एक बात साफ है: पुलिस की रिपोर्ट में असंगतियाँ हैं। जैसे, शिंदे के शरीर पर गोलियों के निशान अलग-अलग कोणों से लगे हैं, जो एक व्यक्ति की ओर से नहीं, बल्कि एक टीम के द्वारा दी गई गोलियों के अनुरूप हैं। इसके अलावा, एस्कॉर्ट वाहन का डेटा अभी तक जारी नहीं किया गया है। यह एक बड़ा लाल झंडा है।
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    tejas cj

    अक्तूबर 3, 2024 AT 17:51
    अरे भाई ये सब नाटक है। जब तक ये लोग नहीं मरते तब तक ये सब बातें करते रहते हैं। यौन शोषण करने वाले को मार डाला तो फिर क्या बुरा हुआ? सब बहाना बना रहे हो।
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    Chandrasekhar Babu

    अक्तूबर 4, 2024 AT 00:58
    इस मामले में न्यायिक जांच की आवश्यकता है क्योंकि पुलिस हिरासत में मृत्यु (Death in Police Custody) के तहत यह एक उच्च-प्राथमिकता वाला मामला है। न्यायालय को अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए, और यहाँ सामाजिक न्याय के संदर्भ में अत्यधिक संवेदनशीलता की आवश्यकता है।
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    Pooja Mishra

    अक्तूबर 5, 2024 AT 20:24
    ये लोग बस अपने आप को शहीद बनाना चाहते हैं। अक्षय शिंदे ने बच्चों को बलात्कार किया था, ये तो सब जानते हैं। अब ये बहाने बना रहे हैं कि पुलिस ने मार डाला। आपको लगता है इसका जवाब बच्चों के जीवन से बराबर होगा?
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    Khaleel Ahmad

    अक्तूबर 6, 2024 AT 11:47
    सच जानने के लिए SIT चाहिए नहीं तो अगले हफ्ते कोई और गायब हो जाएगा
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    Liny Chandran Koonakkanpully

    अक्तूबर 7, 2024 AT 04:27
    अरे ये सब तो बस राजनीति है। कांग्रेस और शिवसेना दोनों इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। असली बात ये है कि बदलापुर के स्कूल के प्रबंधकों को बचाना था। बच्चों के परिवारों को शांत रखना था। शिंदे को निकाल दिया गया। अब बस एक नकली मुठभेड़ और जांच का नाटक।
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    Anupam Sharma

    अक्तूबर 8, 2024 AT 03:26
    क्या हम सच में सोचते हैं कि एक आरोपी जिसके हाथ में हथकड़ी है, वो बंदूक छीन सकता है? ये तो बॉलीवुड फिल्म है। अगर ये सच है तो पुलिस तो बिल्कुल नाकाम है। लेकिन अगर ये झूठ है तो हम देश के नागरिकों को धोखा दे रहे हैं। जो भी हो, सच जानना जरूरी है।
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    Payal Singh

    अक्तूबर 8, 2024 AT 05:47
    हम सब इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या ये मुठभेड़ सच थी या नहीं... लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि अगर शिंदे ने यौन शोषण नहीं किया होता, तो क्या ये सब होता? ये मामला बस एक आरोपी की मौत नहीं, ये एक बच्ची के दर्द की आवाज है। हमें उस आवाज को सुनना चाहिए।
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    avinash jedia

    अक्तूबर 10, 2024 AT 02:29
    ये सब बकवास है। जिसने बच्चों को छूआ वो मरने लायक है। कोई जांच क्यों? बस अगले दिन एक और आरोपी गायब हो जाएगा।

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