मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं का यौन शोषण
हाल ही में केरल सरकार द्वारा जारी जस्टिस के. हिमा कमेटी की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के यौन शोषण और उत्पीड़न के चौंकाने वाले सत्य को उजागर किया है। ये रिपोर्ट 31 दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री को सौंपी गई थी, लेकिन पाँच साल की देरी के बाद इसे सार्वजनिक किया गया है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कैसे महिलाओं से भूमिका या मौके पाने के लिए यौन अनुग्रह माँगे जाते हैं, और यह एक प्रचलित प्रथा बन चुकी है।
रिपोर्ट की प्रमुख बातें और निष्कर्ष
इस रिपोर्ट का आधार 51 उद्योग पेशेवरों की गवाही है, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि महिलाओं को उनके करियर की प्रारंभिक अवस्थाओं से ही शोषण का सामना करना पड़ता है। मलयालम फिल्म उद्योग का नियंत्रण एक ताकतवर समूह के पास है, जिसमें पुरुष निर्माता, निर्देशक और अभिनेता शामिल हैं, जो अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हैं। जो महिलाएं उनकी मांगों का पालन नहीं करतीं, उन्हें उद्योग से प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
महिलाओं के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी
रिपोर्ट में न केवल यौन शोषण की बात की गई है, बल्कि यह भी बताया गया है कि फिल्म सेट पर महिलाओं के लिए मूलभूत सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। शूटिंग के दौरान महिलाएं अपनी बदलने और स्नान की जगह ढूंढने के लिए संघर्ष करती हैं। इसके चलते उन्हें असुरक्षित और अस्वच्छ परिस्थितियों में रहना पड़ता है, और उन्हें अक्सर शराबी पुरुषों द्वारा तंग किया जाता है।
सुधारों की तत्काल आवश्यकता
कमेटी ने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। इनमें एक सिविल कोर्ट-जैसी ट्रिब्यूनल की स्थापना का प्रस्ताव भी शामिल है, जो उद्योग में महिलाओं द्वारा झेली जाने वाली समस्याओं का समाधान कर सके। इसके अलावा, वेतन के लिए औपचारिक अनुबंध और अंतरिक शिकायत समिति (ICC) की प्रभावशीलता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है, ताकि यौन शोषण की शिकायतों का समुचित समाधान किया जा सके।
उद्योग में बदलाव की ज़रूरत
रिपोर्ट न केवल यौन शोषण और उत्पीड़न की समस्याओं को उठाती है, बल्कि लैंगिक समानता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सुधारों की आवश्यकता पर भी बल देती है। यह दर्शाता है कि अगर इन समस्याओं का सामना नहीं किया गया, तो मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के लिए काम करना असंभव हो जाएगा।
इसकी गंभीरता को देखते हुए, हमें यह समझना होगा कि हमारे समाज के हर हिस्से में महिलाओं के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल बनाना कितना महत्वपूर्ण है। मलयालम फिल्म उद्योग में जारी इन परिस्थितियों को बदलने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करना होगा ताकि आने वाले समय में यह उद्योग एक सुरक्षित और समानता पर आधारित कार्यस्थल बन सके।
यह रिपोर्ट और इसके निष्कर्ष हमें याद दिलाते हैं कि एक जिम्मेदार और समर्पित समाज बनने की दिशा में हमें लंबा रास्ता तय करना है।
Prakash chandra Damor
अगस्त 22, 2024 AT 03:06कोई असली कार्रवाई नहीं होगी।
Raksha Kalwar
अगस्त 23, 2024 AT 00:56himanshu shaw
अगस्त 23, 2024 AT 13:55Rashmi Primlani
अगस्त 25, 2024 AT 10:13harsh raj
अगस्त 26, 2024 AT 19:37Arya Murthi
अगस्त 26, 2024 AT 21:21Manu Metan Lian
अगस्त 28, 2024 AT 05:11Debakanta Singha
अगस्त 29, 2024 AT 18:08swetha priyadarshni
अगस्त 30, 2024 AT 00:46tejas cj
अगस्त 30, 2024 AT 11:40Chandrasekhar Babu
अगस्त 30, 2024 AT 18:26Pooja Mishra
सितंबर 1, 2024 AT 03:07