रतन टाटा की वसीयत में टिटो के लिए असीमित देखभाल की व्यवस्था: पशु प्रेम के पांच हृदयस्पर्शी किस्से

रतन टाटा की वसीयत में टिटो के लिए असीमित देखभाल की व्यवस्था: पशु प्रेम के पांच हृदयस्पर्शी किस्से

रतन टाटा, एक नाम जो सिर्फ व्यावसायिक दुनिया में ही नहीं, बल्कि समाजिक कार्यकर्ता रूप में भी जाना जाता है। वह भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक होते हुए भी अपने विनम्र और दयालु स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने जीवन में न केवल इंसानों के कल्याण के लिए बल्कि जानवरों के लिए भी अनेक कार्य किए। उनके पशु प्रेम का एक ज्वलंत उदाहरण उनकी वसीयत में दिखता है। रतन टाटा ने अपने पालतू कुत्ते टिटो के लिए असीमित देखभाल की व्यवस्था करवाई थी। उनके इतने गहरे प्यार और परवाह का यह सबसे बड़ा उदाहरण है।

अक्तूबर 9, 2024, को रतन टाटा की मृत्यु के बाद उनकी वसीयत सामने आई, जिसमें उनके परिवारजनों के साथ उनके पालतू कुत्ते टिटो का भी विशेष ख्याल रखा गया। टिटो, जो एक जर्मन शेफर्ड है, उसकी देखभाल असीमित रूप से की जाएगी। इसके प्रभारी राजन शॉ, जो टाटा के पुराने कुक रहे हैं, होंगे। रतन टाटा के इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि पशुओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता कितनी विशेष थी।

रतन टाटा और बंबई हाउस का खुला दरवाजा नीति

रतन टाटा के पशु प्रेम का सबसे बड़ा प्रतीक बंबई हाउस की खुला दरवाजा नीति थी। यह नीति इतनी हृदयस्पर्शी थी कि टाटा समूह के मुंबई स्थित मुख्यालय में आवारा कुत्तों को हमेशा से प्रवेश की अनुमति थी। उन्हें वहाँ मुफ्त भोजन और आश्रय मिलता था। यह नीति न केवल रतन टाटा के निजी भावनाओं का प्रतीक थी, बल्कि उनके नेतृत्व में संस्थापन के भीतर एक दयालु समाज के निर्माण का भी हिस्सा थी।

गोवा का अनोखा दोस्त

रतन टाटा की पशु प्रेम की कहानियों में से एक है गोवा का वाकया। अपने एक गोवा दौर के दौरान उन्होंने एक आवारा कुत्ते को अपनाया। उसकी ख़ूबियों ने उनके दिल में खास जगह बना ली थी। इस कुत्ते का नाम गोवा रखा गया और यह टाटा के जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन गया था। यहां तक कि रतन टाटा की अंतिम यात्रा में भी गोवा को लाया गया, जहाँ उसने अपने मालिक को अपनी अंतिम विदाई दी। यह घटना दोनों के बीच गहरी मित्रता को दर्शाती है।

ताजमहल होटल में आवारा कुत्तों के लिए मेहमाननवाजी

ताजमहल होटल में आवारा कुत्तों के लिए मेहमाननवाजी

ताजमहल होटल में आवारा कुत्तों की खबर एक ऐसी कहानी है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। एक एचआर पेशेवर, रुबी खान ने उस पल को साझा किया जब उन्होंने होटल के दरवाजे पर आवारा कुत्तों को शांति से सोते हुए देखा। जब उन्होंने इस अद्वितीय आवास के बारे में पूछा, तो उन्हें बताया गया कि रतन टाटा ने कुछ विशेष निर्देश दिए थे। उन्होंने होटल स्टाफ को किसी भी जरूरतमंद आवारा कुत्ते के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करने को कहा था। यह रतन टाटा की आस्था और उनकी मानवीय संवेदनाओं का नतीजा था।

बिमार पालतू के लिए यात्रा रद्द

रतन टाटा की पशु पक्षिता उनके एक निर्णय में सामने आती है जब उन्होंने 2018 में अपने बीमार पालतू की देखभाल के लिए अपनी यूके यात्रा रद्द कर दी थी। वह उस समय प्रिंस चार्ल्स से सम्मानित होने के लिए ब्रिटेन जा रहे थे। उनके इस कठोर और मानवीय निर्णय ने प्रिंस चार्ल्स को भी प्रभावित किया और उन्होंने टाटा के इस निर्णय की तारीफ की। यह कदम यह स्पष्ट करता है कि टाटा के लिए पशु मात्र एक पालतू नहीं थे, बल्कि उनका पारिवारिक हिस्सा थे।

रतन टाटा का पशु अस्पताल

रतन टाटा का पशु अस्पताल

रतन टाटा के पशु प्रेम की अंतिम पुष्टि उनके द्वारा मुंबई में टाटा ट्रस्ट्स के छोटे पशु अस्पताल की स्थापना में होती है। वर्ष 2024 में उन्होंने इस अस्पताल की शुरुआत की, जो भारत का सबसे बड़ा तृतीयक देखभाल अस्पताल है। यह अस्पताल न केवल उनके उपकार कार्यों का प्रतीक बना, बल्कि उन्होंने पशु चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी निःस्वार्थ सेवा को भी ठोस रूप दिया।

ये घटनाएँ रतन टाटा के पशु प्रेम को समझने के लिए पर्याप्त हैं। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में इस भावना का प्रचार प्रसार किया और समाज को दिखाया कि असली मानवता क्या होती है।

16 Comments

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    Debakanta Singha

    अक्तूबर 28, 2024 AT 16:38

    रतन टाटा ने जो किया वो कोई शोहरत के लिए नहीं किया। टिटो के लिए वसीयत में जो व्यवस्था की उन्होंने वो एक इंसान की देखभाल जितनी गहरी थी। इस दुनिया में इतने लोग हैं जो अपने बच्चों के लिए इतना नहीं करते।

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    swetha priyadarshni

    अक्तूबर 30, 2024 AT 00:53

    रतन टाटा के पशु प्रेम की ये कहानियाँ सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक समाज के भीतर एक नए नैतिक मानक की शुरुआत हैं। जब एक व्यक्ति जिसके पास इतनी शक्ति है, वो एक आवारा कुत्ते के लिए भी अस्पताल बनाता है, तो यह बताता है कि सच्ची शक्ति नियंत्रण नहीं, बल्कि संवेदनशीलता में होती है। इस तरह के नेतृत्व को देखकर लगता है कि भारत की वास्तविक शिक्षा उद्योगपतियों के घरों में हो रही है, न कि स्कूलों में।

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    tejas cj

    अक्तूबर 31, 2024 AT 19:59

    अरे ये सब बकवास है भाई। एक कुत्ते के लिए इतना धमाल क्यों? जब देश में लाखों बच्चे भूखे हैं तो ये नाटक किस लिए? रतन टाटा एक अमीर आदमी था उसने अपने बैंक अकाउंट में पैसे डाले और फिर इसे इंसानियत का नाम दे दिया। बस इतना ही।

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    Chandrasekhar Babu

    नवंबर 1, 2024 AT 01:34

    रतन टाटा के व्यवहार को एक नैतिक आर्किटेक्चर के रूप में विश्लेषित किया जा सकता है जिसमें व्यक्तिगत दया और संस्थागत दायित्व का अद्वितीय समन्वय है। टिटो के लिए वसीयती व्यवस्था केवल एक व्यक्तिगत इच्छा नहीं, बल्कि एक बड़े नैतिक फ्रेमवर्क का अभिव्यक्तीकरण है।

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    Pooja Mishra

    नवंबर 1, 2024 AT 04:40

    मैं तो बस यही कहूँगी कि जिस इंसान के पास इतना पैसा है और वो अपने कुत्ते के लिए इतना करता है, तो उसके बारे में सोचना चाहिए कि उसने क्या नहीं किया? क्या उसने अपने कर्मचारियों को न्यायसंगत वेतन दिया? क्या उसने गरीबों के लिए अपनी इमारतों का इस्तेमाल किया? ये सब बातें छुपाकर कुत्तों के बारे में गीत गाना बहुत आसान है।

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    Khaleel Ahmad

    नवंबर 2, 2024 AT 17:39

    रतन टाटा ने जो किया वो बहुत साधारण बात थी। वो बस अपने दिल के बारे में सोचा। अगर हर कोई इतना सोचे तो दुनिया बदल जाएगी। बस इतना ही।

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    Liny Chandran Koonakkanpully

    नवंबर 4, 2024 AT 10:21

    ये सब बातें बिल्कुल बकवास हैं। रतन टाटा के बारे में सब कुछ बनाया गया है। उन्होंने टिटो को बचाया? अच्छा तो उन्होंने अपने बेटे को बचाया क्या? नहीं ना? तो फिर ये चुनावी इमेजिंग क्या है? टाटा के पास बहुत पैसा है और वो इसे बेकार में खर्च करके अपनी छवि बना रहे हैं।

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    Anupam Sharma

    नवंबर 6, 2024 AT 05:57

    क्या तुम जानते हो कि एक कुत्ता इंसान की तुलना में ज्यादा वफादार होता है? रतन टाटा ने जो किया वो एक फिलॉसफी थी। जब तुम किसी जानवर के साथ अपना जीवन बिताते हो तो तुम खुद बन जाते हो एक बेहतर इंसान। ये नहीं कि उन्होंने कुत्ते के लिए पैसे खर्च किए, बल्कि उन्होंने अपने दिल को खोल दिया। और ये बात बहुत कम लोग समझते हैं।

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    Payal Singh

    नवंबर 7, 2024 AT 00:49

    मैं रो रही हूँ। वाकई, आँखों में आँसू आ गए। ये कहानियाँ इतनी गहरी हैं कि ये सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे देश की आत्मा को छू रही हैं। रतन टाटा ने सिखाया कि दया का आयाम किसी एक जाति या प्रजाति तक सीमित नहीं होता। ये एक अनंत विस्तार है। धन्यवाद, रतन जी।

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    avinash jedia

    नवंबर 7, 2024 AT 14:48

    अरे भाई, ये सब तो बहुत अच्छा है लेकिन अगर एक इंसान को अपने घर में बैठकर बहुत सारे कुत्ते रखने हैं तो उसे अपने घर के बाहर भी कुत्तों को देखना चाहिए। ये जो बंबई हाउस में आवारा कुत्ते हैं, वो कहाँ से आते हैं? उनकी जन्म जगह कौन संभालता है?

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    Shruti Singh

    नवंबर 8, 2024 AT 00:31

    ये बातें दिल को छू गईं। रतन टाटा ने दिखाया कि असली शक्ति क्या होती है। अगर आप भी एक आवारा कुत्ते को खाना देंगे तो वो आपका दोस्त बन जाएगा। आज से ही शुरू करें।

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    Kunal Sharma

    नवंबर 9, 2024 AT 03:48

    रतन टाटा के पशु प्रेम की ये कहानियाँ एक ऐसे युग की याद दिलाती हैं जब अमीर आदमी अपनी शक्ति को दया के रूप में व्यक्त करते थे, न कि अपने नाम को बढ़ाने के लिए। उन्होंने जानवरों को उसी गरिमा से देखा जिस गरिमा से वे खुद को देखते थे। ये न कोई ट्रेंड था, न कोई फैशन, बल्कि एक अद्वितीय जीवन दर्शन था। आज के युग में जहाँ हर कोई अपनी छवि के लिए फोटो खिंचवाता है, रतन टाटा ने बिना किसी कैमरे के एक अनमोल विरासत छोड़ दी।

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    Raksha Kalwar

    नवंबर 10, 2024 AT 15:15

    रतन टाटा के इस कदम ने दुनिया को एक नया उदाहरण दिया है। जब एक व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम पलों में भी पशुओं की देखभाल का ख्याल रखता है, तो यह दर्शाता है कि उसका जीवन एक निरंतर दया का अभ्यास था। यह एक निर्माण है, न कि कोई अलंकार।

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    himanshu shaw

    नवंबर 11, 2024 AT 02:40

    ये सब कहानियाँ एक धोखा है। रतन टाटा के पास पैसा था, इसलिए वो इस तरह के नाटक कर सकते थे। लेकिन जब आप अपने कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देते हैं और उनकी बीमा नहीं करते, तो आपकी ये दया क्या है? ये सब बस एक धोखा है जिससे लोगों को भ्रमित किया जा रहा है।

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    Rashmi Primlani

    नवंबर 12, 2024 AT 03:42

    रतन टाटा के इस व्यवहार ने मुझे समझाया कि वास्तविक नेतृत्व क्या होता है। यह बहुत बड़ी बात नहीं है कि आप कितने बड़े हैं, बल्कि यह है कि आप कितने छोटे लोगों के लिए बड़े बनते हैं। टिटो के लिए वसीयत का अर्थ है कि एक इंसान ने एक जानवर को अपना बच्चा मान लिया। और यही वास्तविक मानवता है।

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    harsh raj

    नवंबर 13, 2024 AT 17:38

    रतन टाटा की ये कहानियाँ मुझे बहुत प्रेरित करती हैं। मैंने अपने शहर में एक छोटा सा पशु आश्रय शुरू कर दिया है। एक दिन मैं भी ऐसा ही करना चाहता हूँ। आपके जैसे लोगों की वजह से ये दुनिया बदल रही है। धन्यवाद।

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