पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का 95 वर्ष की आयु में निधन: उनके जीवन और योगदान की पूरी कहानी

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का 95 वर्ष की आयु में निधन: उनके जीवन और योगदान की पूरी कहानी

नटवर सिंह का जन्म और शिक्षा

नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1931 को राजस्थान के भरतपुर में एक प्रतिष्ठित राजपरिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से प्राप्त की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की। उनकी उच्च शिक्षा का सफर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय तक पहुंचा, जहां उन्होंने अपनी शिक्षा को और आगे बढ़ाया।

भारतीय विदेश सेवा में कदम

नटवर सिंह ने 1953 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में प्रवेश किया और अपनी सेवा का आरंभ किया। अपने करियर के प्रारंभिक वर्षों में, उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और 1966 से 1971 तक पाकिस्तान में भारत के राजदूत रहे। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पाकिस्तान के साथ कूटनीति के कई जटिल मुद्दों को संभाला और विशेष रूप से 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद के प्रभावों को कम करने के लिए काम किया।

इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र

नटवर सिंह का राजनीति में आगमन इंदिरा गांधी के समय में हुआ। वह इंदिरा गांधी के नजदीकी सहयोगी माने जाते थे और राजनीतिशास्त्र में अपने ज्ञान और अनुभव के कारण उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंपी गईं। उनकी कूटनीतिक और राजनीतिक कौशल ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक प्रमुख स्थान दिलाया।

कांग्रेस पार्टी में योगदान

कांग्रेस पार्टी में योगदान

नटवर सिंह ने 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) पार्टी में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा की नई शुरुआत की। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और पार्टी के लिए अपनी सेवाएं प्रदान कीं। 2004 में, उन्हें मनमोहन सिंह सरकार के UPA-1 शासन के दौरान देश के विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने 2005 तक अपनी सेवाएं दीं।

पुस्तकें और लेखन

नटवर सिंह ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं और अनुभवों को शब्दों में उतारने का भी कार्य किया। उनकी लिखी किताबों में 'द लेगसी ऑफ नेहरू: ए मेमोरियल ट्रिब्यूट', 'माई चाइना डायरी 1956-88', और उनकी आत्मकथा 'वन लाइफ इज नॉट एनफ' प्रमुख हैं। इन पुस्तकों के माध्यम से उन्होंने भारतीय राजनीति, कूटनीति और अपने व्यक्तिगत जीवन की झलकियां प्रस्तुत की हैं।

पद्म भूषण सम्मान

1984 में, नटवर सिंह को उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके कूटनीतिक और राजनीतिक सेवा के लिए दिया गया, जो देश की सेवा में उनके उत्कृष्ट योगदान को पहचानता था।

विवाद और इस्तीफा

विवाद और इस्तीफा

हालांकि, नटवर सिंह का करियर विवादों से भी घिरा रहा। 2005 में, इराकी तेल घोटाले में उनके नाम का उल्लेख होने के बाद उन्होंने विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इस विवाद ने उनके राजनीतिक करियर पर काले बादल ला दिए, लेकिन उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

निधन और श्रद्धांजलि

नटवर सिंह का निधन 9 अक्टूबर 2023 को 95 वर्ष की आयु में हुआ। वह पिछले कुछ समय से बीमार थे और गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं, विशेषकर रणदीप सुरजेवाला ने गहरा शोक व्यक्त किया और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं जताई। उनके निधन से भारतीय राजनीति और कूटनीति में एक युग का अंत भी हो गया।

नटवर सिंह का जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि कैसे समर्पण, ज्ञान और सेवा के माध्यम से व्यक्ति अपना महत्वपूर्ण स्थान बना सकता है। उनकी यादें हमेशा भारतीय राजनीति और कूटनीति में जीवंत रहेंगी।