पेरिस 2024 ओलंपिक्स में 10 मीटर एयर राइफल मिक्स्ड टीम इवेंट में भारत का पदक अवसर चूका

पेरिस 2024 ओलंपिक्स में 10 मीटर एयर राइफल मिक्स्ड टीम इवेंट में भारत का पदक अवसर चूका

पेरिस 2024 ओलंपिक्स में 10 मीटर एयर राइफल मिक्स्ड टीम इवेंट में भारत का असफल पदक चुनौती

पेरिस 2024 ओलंपिक्स में भारत की उम्मीदें 10 मीटर एयर राइफल मिक्स्ड टीम इवेंट में परवान नहीं चढ़ सकीं, जब उसकी दोनों टीमें क्वालीफाइंग दौर में ही बाहर हो गईं। भारतीय टीमों में संदीप सिंह और एलावेनिल वालारिवन, और अर्जुन बाबूता और रमिता जिंदल शामिल थे। दोनों टीमों ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए, लेकिन उन्हें शीर्ष चार में स्थान पाने में असफलता मिली, जो कि पदक मुकाबलों में पहुँचने का एकमात्र रास्ता था।

अर्जुन बाबूता और रमिता जिंदल ने 628.7 अंक हासिल किए और छठे स्थान पर रहे, जो कि बेहद नज़दीक था, लेकिन एक बिंदु के अंतर से वे चौथे स्थान पर न पहुँच सके। दूसरी तरफ, संदीप सिंह और एलावेनिल वालारिवन ने 626.3 अंकों के साथ बारहवें स्थान पर कब्जा किया।

विजेताओं की सूची

इस इवेंट में चीनी टीम, जिसमें हुआंग युतिंग और शेंग लिहराओ शामिल थे, ने श्रेष्ठता साबित की और 632.2 अंकों के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया। उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। रजत पदक कोरिया गणराज्य के क्युम जिह्योन और हाजून पार्क ने जीता। कांस्य पदक के मुकाबले में कजाकिस्तान की एलेक्जेंड्रा ली और इस्लाम सतपायेव ने जर्मनी के अन्ना जांसन और मैक्सिमिलियन उलब्रिच को हराया।

इन परिणामों से यह स्पष्ट हो गया था कि भारतीय टीम को अपने कौशल में और अधिक सुधार की आवश्यकता है ताकि वे विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं में चल सकें। हालांकि, इस हालात में भारतीय शूटरों का मनोबल नहीं टूटा है और उन्हें अपने व्यक्तिगत इवेंट्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन की उम्मीद है।

अगली चुनौती की तैयारियाँ

अगली चुनौती की तैयारियाँ

भविष्य की ओर देखते हुए, भारतीय शूटर अब व्यक्तिगत राइफल इवेंट्स पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो इस सप्ताह के अंत में आयोजित होंगे। इन व्यक्तिगत इवेंट्स में उच्च स्कोर और शानदार प्रदर्शन की उम्मीदें हैं, और देश उनके पीछे मजबूती से खड़ा है।

भारतीय शूटिंग टीम ने पिछले वर्षों में कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और उनकी आत्म-शक्ति और उत्साह इस बार भी अपरंपरागत नहीं है।

इस बार के अनुभव ने न केवल खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन में सुधार के लिए प्रेरित किया है, बल्कि पूरे कोचिंग स्टाफ और खेल प्रबंधन को भी एक सशक्त संदेश दिया है कि और अधिक मेहनत और तैयारी की आवश्यकता है।

पदक न जीत पाने के बावजूद, यह अनुभव भारतीय शूटरों के लिए सीखने का एक अद्वितीय अवसर था, और इससे उन्हें अपनी गलतियों से सीखकर और मजबूत होकर वापस लौटने की प्रेरणा मिलेगी।

भारतीय शूटरों पर नज़र

संदीप सिंह और एलावेनिल वालारिवन, अर्जुन बाबूता और रमिता जिंदल जैसे प्रतिभावान शूटर्स ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। उम्मीद है कि इन व्यक्तिगत इवेंट्स में वे बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे और अपने देश का नाम रौशन करेंगे।

देशभर के खेल प्रेमियों की उम्मीदें अब व्यक्तिगत इवेंट्स पर टिकी हैं, जहाँ भारतीय शूटर एक नई रणनीति और नए उत्साह के साथ मैदान में उतरने के लिए तत्पर हैं।

भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए, यह अनुभव भारतीय शूटरों के लिए खुद को और बेहतर बनाने का एक बेहतरीन मौका है।

खेल के प्रति समर्पण

खेल के प्रति समर्पण

किसी भी खेल में सफल होने के लिए केवल कौशल की ही नहीं, बल्कि समर्पण और आत्म-विश्वास की भी जरूरत होती है। हमारी भारतीय टीम ने पेरिस ओलंपिक्स में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है और आने वाले प्रतियोगिताओं में उनकी मेहनत और अभ्यास रंग लाएंगे।

इस बार भले ही भारतीय शूटर पदक से चूक गए हों, लेकिन उनका समर्पण, परिश्रम और उत्साह उन्हें भविष्य में और भी अधिक मजबूती के साथ मैदान में वापस लाएगा।

आगे की राह में, भारतीय शूटिंग टीम को अपने लक्ष्यों पर फिर से ध्यान केंद्रित करना होगा और खुद को नई चुनौतियों के लिए तैयार करना होगा। उनकी मेहनत और प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए, और हमें यह उम्मीद रखनी चाहिए कि आने वाले समय में वे और अधिक शानदार प्रदर्शन के साथ लौटेंगे।

भावनाओं की इस जंग में, हार और जीत दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये हमें हमारी सीमाओं को पहचानने और उन्हें पार करने की प्रेरणा देती हैं। भारतीय शूटिंग टीम उसी भावना के साथ आगे बढ़ती रहेगी और नई ऊँचाइयों को छूएगी।

13 Comments

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    tejas cj

    जुलाई 29, 2024 AT 01:01
    फिर वही कहानी भाई... कोचिंग नहीं बदल रही बस खिलाड़ी बदल रहे हैं। ये लोग तो अभी भी बैठकर बातें करते हैं और बाहर जाकर निशाना लगाना भूल जाते हैं।
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    Shruti Singh

    जुलाई 30, 2024 AT 11:28
    अरे यार इतना निराश होने की क्या बात है? ये लोग तो अभी तक बाहर निकले नहीं, बस अभी तैयारी के दौर में हैं। अगला इवेंट देखो, धमाका होगा!
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    swetha priyadarshni

    अगस्त 1, 2024 AT 08:39
    मैंने देखा कि अर्जुन और रमिता का अंतिम शूट बहुत तनावपूर्ण था... उनकी सांसें दिख रही थीं। ये बस एक बिंदु का अंतर था, लेकिन ओलंपिक्स में एक बिंदु भी एक समुद्र के बराबर होता है। मैंने देखा है कि चीनी टीम ने अपने शूटर्स को लगातार डिजिटल फीडबैक दिया है, जबकि हमारे लिए अभी तक एक सिंपल स्लो मोशन वीडियो भी नहीं है। हमारी टेक्नोलॉजी और डेटा एनालिसिस अभी भी 1990 के दशक में फंसी हुई है। ये सिर्फ खिलाड़ियों की गलती नहीं है, ये पूरे सिस्टम की असफलता है।
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    Payal Singh

    अगस्त 1, 2024 AT 18:13
    हमें इन लड़कों और लड़कियों को समर्थन देना चाहिए, न कि उनकी आलोचना करना। उन्होंने अपना सब कुछ दिया... और अब वो अपने व्यक्तिगत इवेंट्स में आत्मविश्वास से भरकर आएंगे। ये बच्चे हमारे देश के नाम से लड़ रहे हैं। अगर हम उनके साथ नहीं खड़े होंगे, तो फिर किसके साथ खड़े होंगे?
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    Anupam Sharma

    अगस्त 3, 2024 AT 17:55
    ये सब बस एक फैक्ट है... भारत में खेल को तो बस एक टीवी शो समझा जाता है। जब तक हम अपने खिलाड़ियों को एक डिस्किप्शन नहीं देंगे जो उनके लिए एक जीवन बन जाए, तब तक ये चक्र चलता रहेगा। हम तो उन्हें बस एक चित्र देते हैं, और फिर उन्हें दुनिया के सामने खड़ा कर देते हैं। क्या ये न्याय है? नहीं। ये अपराध है।
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    Khaleel Ahmad

    अगस्त 5, 2024 AT 00:34
    मैंने भी देखा कि उनका शूटिंग टेक्निक बहुत अच्छा था... बस थोड़ा नर्वस हो गए। शायद बहुत ज्यादा एक्सपेक्टेशन थे। अगली बार शायद उन्हें थोड़ा आराम देना चाहिए।
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    avinash jedia

    अगस्त 5, 2024 AT 06:24
    हां भाई, ये जो बोल रहे हैं उनका जो भी नाम है, वो सब बकवास है। भारत में शूटिंग को कोई नहीं लेता। क्रिकेट तो बस धोखा है और ये लोग उसकी छाया में फंसे हुए हैं।
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    Raksha Kalwar

    अगस्त 6, 2024 AT 06:29
    हमें इन खिलाड़ियों को उनके अभ्यास के लिए अच्छी तरह से फिटनेस सुविधाएं और न्यूट्रिशनल सपोर्ट देना चाहिए। वो बस बंदूक नहीं चला रहे हैं, वो अपने शरीर को भी एक इंस्ट्रूमेंट की तरह ट्रेन कर रहे हैं।
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    Pooja Mishra

    अगस्त 7, 2024 AT 00:07
    ये सब बस एक झूठ है! अगर ये लोग असली टैलेंट रखते तो वो चीन के खिलाफ नहीं गिरते! ये तो बस एक लोकप्रियता का खेल है जिसमें हम सब खुद को बहका रहे हैं। ये लोग तो बस टीवी पर दिखने के लिए आए हैं।
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    Liny Chandran Koonakkanpully

    अगस्त 7, 2024 AT 17:25
    अरे यार ये लोग तो अपने घर में बैठकर ट्रेनिंग करते हैं! क्या आपने कभी सोचा कि वो अपने घर के बाहर जाकर भी निशाना लगाने की इजाजत नहीं पाते? ये लोग तो अपने बारे में भी नहीं जानते कि वो कितने बेहतर हैं!
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    Kunal Sharma

    अगस्त 8, 2024 AT 05:37
    ये जो लोग बोल रहे हैं कि ये लोग अच्छे हैं, वो तो बस एक नाटक है। ये लोग तो बस एक चीज़ के लिए जन्मे हैं... और वो है अपने आप को खो देना। एक शूटर को अपने दिमाग को बंदूक की तरह ठीक करना होता है, न कि अपने दिल को। ये लोग तो अपने दिल को ही शूटिंग कर रहे हैं। ये तो बस एक आत्महत्या का रूप है।
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    Chandrasekhar Babu

    अगस्त 10, 2024 AT 02:05
    मैंने डेटा एनालिसिस किया है: भारतीय टीम का औसत वेरिएंस (SD) 2.1 है, जबकि चीनी टीम का 0.8 है। ये एक आंकड़ा है जो तकनीकी अंतर को दर्शाता है। हमारे ट्रेनर्स को बायोमेकेनिकल फीडबैक सिस्टम्स की आवश्यकता है, न कि बस आत्मविश्वास के भाषणों की।
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    himanshu shaw

    अगस्त 12, 2024 AT 00:21
    ये सब एक राजनीतिक अभियान है। जब भी कोई पदक नहीं जीतता, तो वो तुरंत अपने बच्चों के लिए राष्ट्रीय उत्साह बढ़ा देते हैं। लेकिन वो खुद क्या कर रहे हैं? उन्होंने कभी एक शूटर को अपने घर में आमंत्रित किया है? नहीं। वो तो बस टीवी पर फोटो लेते हैं और फिर भूल जाते हैं।

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