कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस पर 'नबन्ना अभियान' में भड़की हिंसा
कोलकाता में घटित 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के रेप-मर्डर केस ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। इस केस पर न्याय की मांग करते हुए मंगलवार को 'नबन्ना अभियान' रैली का आयोजन किया गया, लेकिन यह रैली हिंसा में तब्दील हो गई। इस रैली का आयोजन पश्चिम बंगा छात्र समाज (Paschim Banga Chhatra Samaj) ने किया था। रैली का मुख्य उद्देश्य पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफा मांगना था।
प्रदर्शनकारी दोपहर 1 बजे के आसपास हावड़ा और कोलकाता के विभिन्न हिस्सों से नबन्ना, राज्य सचिवालय की ओर मार्च करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज लहराया और सरकार विरोधी नारे लगाए। पुलिस ने इस रैली को 'अवैध' करार देते हुए बैरिकेड्स लगाए थे, जिनमें लोहे की छड़ें भी लगी हुई थीं। रैपिड एक्शन फोर्स (Rapid Action Force) के जवानों के साथ सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था।
हावड़ा के सांत्रागाछी में प्रदर्शनकारियों ने एक बैरिकेड को तोड़ते हुए पुलिस से संघर्ष किया। पुलिस ने जवाब में लाठीचार्ज, अश्रु गैस और पानी की तोपों का इस्तेमाल किया। कोना एक्सप्रेसवे, फोरशोर रोड और हावड़ा ब्रिज के पास भी पत्थरबाजी की घटनाएं देखने को मिलीं। कोलकाता की ओर बढ़ते हुए विद्यासागर सेतु के पास एक बैरिकेड को तोड़ने का प्रयास किया गया लेकिन वह असफल रहे।
हिंसा में कई घायल, बड़ी संख्या में गिरफ्तारी
हिंसा के इस आक्रोश में कई प्रदर्शनकारी और पुलिस कर्मी घायल हो गए। पुलिस ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस हिंसक घटनाओं की कड़ी निंदा की और चेतावनी दी कि यदि यह अत्याचार जारी रहा, तो वे पूरे बंगाल को ठप कर देंगे।
पूरा मामला एक प्रशिक्षु डॉक्टर के रेप-मर्डर केस से जुड़ा हुआ है, जिसे कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मृत पाया गया था। इस केस में स्थानीय अधिकारियों पर सबूत छेड़छाड़ और लापरवाही के आरोप भी लगे हैं। इस मामले से नाराज समाज के विभिन्न हिस्सों ने सरकार के प्रति गहरी नाराजगी व्यक्त की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की रैलियों और प्रदर्शनों में हिंसा का भड़कना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जिस तरह से पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष हुआ, वह गंभीर चिंतन का विषय है। जिस तरह से यह मामला सामने आया है, उसने प्रशासन की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हालांकि, यह मामला अभी भी जांच के अधीन है और प्रशासन यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। लेकिन इस बीच, जनता के भीतर बढ़ती नाराजगी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक तरफ जहां प्रदर्शनकारी न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं प्रशासन की ओर से कानून व्यवस्था बनाए रखने का दावा किया जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों की मांग
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगों में शामिल हैं:
- मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस्तीफा।
- रेप-मर्डर केस में निष्पक्ष जांच।
- जांच में लापरवाही बरतने वालों पर सख्त कारवाई।
- प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे प्रदर्शन जारी रखेंगे। खबरों के मुताबिक, आने वाले दिनों में अन्य संगठनों द्वारा भी इस मुद्दे पर प्रदर्शन किए जा सकते हैं।
यह घटना एक बार फिर से हमारे समाज में महिला सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जब तक इस मामले में न्याय नहीं मिलता, तब तक यह मुद्दा शांत होने वाला नहीं है। यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है और कैसे इन आक्रोशित जनता की मांगों को पूरा करता है।
समाज में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। शिक्षा, सुरक्षा और निष्पक्ष न्याय प्रणाली के साथ-साथ, समाज की मानसिकता में परिवर्तन की भी आवश्यकता है। केवल कानून का पालन करवाने से यह समस्याएं सुलझाई नहीं जा सकतीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को अपने दायित्व को समझना होगा और महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा को बढ़ावा देना होगा।